Ae Watan Mere Watan Hindi Review : देश को आजादी तब मिली हजारों लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ दांव लगा दिया। जिनमें से कुछ शख्सियत ऐसी रहीं जो हमेशा के लिए महान बन गईं वहीं कुछ ऐसी भी रहीं जो वक्त के अंधेरे के पीछे छुप गईं।

प्राइम वीडियो पर आई Ae Watan Mere Watan में दिखाई गई फ्रीडम फाइटर Usha Mehta की कहानी भी कुछ इसी तरह की रही उन्होंने आजादी के लिए बहुत कुछ किया लेकिन उन्हें याद रखने वाले चंद लोग ही हैं। क्योंकि उन्होंने पर्दे के सामने आकर नहीं बल्कि पर्दे के पीछे से रेडियो के माध्यम से देशभर में आजादी की क्रांति को हवा दी।

Ae Watan Mere Watan Hindi Review – Story

फिल्म की कहानी पर आए तो पता चलेगा कि एक लड़की है उषा, जिसके पिता अंग्रेजी न्याय व्यवस्था में जज हैं। उषा के लिए गांधी उसके जीवन के आइडल पर्सन हैं और वो किसी ना किसी तरीके से गांधीवादी रास्ते पर चलकर देश की आजादी में मदद करना चाहती हैं। वहीं उषा के पिता उसे किसी भी तरह ऐसा करने से रोकना चाहते हैं।

कहानी का पहला मोड़ आता है भारत छोड़ो आंदोलन सन 1942. ये वो आंदोलन था जिसने अंग्रेजों की नीवें हिलाने का काम किया। इस दबाने के लिए अंग्रेजों ने बड़ें नेताओं को जेल भेज दिया। बड़े नेताओं के जेल जाने के बाद अंग्रेजों से लड़ने की जिम्मेदारी उषा जैसे कई युवाओं ने उठाई। उषा ने गुप्त रूप से रेडियो स्टेशन खोला और आजादी की आवाज को ऊंचा रखने का काम किया।

लेकिन जल्दी ही इसकी भनक अंग्रेजों को लग गई। जिसके बाद फिल्म के खत्म होने तक उषा की लड़ाई यही है कि रेडियो के माध्यम से आजादी लड़ाई की लौ को अंग्रेजी आंधी से बचाकर कर रखा जाए।

Ae Watan Mere Watan Hindi Review – Plus Minus

फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर बेस्ड है। इसे बायोपिक तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि फिल्म उषा मेहता की निजी जिंदगी को उतना एक्सप्लोर नहीं करती। फिल्म प्री इंडिपेंडेंस एरा की कहानी है। इस दौर को बेहद अच्छे ढंग से क्रिएट किया गया है।

हिस्टोरिकल बैकग्राउंड और कहानी के लिहाज से फिल्म का ट्रीटमेंट कमजोर है। इस तरह की प्री इंडिपेंडेंस एरा की कई कहानी हम देख चुके हैं उन्हें पसंद भी किया गया है लेकिन इस फिल्म को बनाने में डायरेक्टर बुरी तरह फेल हो गए हैं। 

फिल्म को रियलिस्टिक रखा जाता तो फिल्म अच्छी लगती लेकिन फिल्म को बीच-बीच में एक्शन एंटरटेनर बनाने की जो कोशिश की गई है वही फिल्म का सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट है।

Ae Watan Mere Watan Hindi Review – Direction

एक सीन से समझिए, भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी की जी की सभा के बाद अंग्रेज सैनिक पब्लिक पर लाठियों से हमला कर देते हैं। इसके बाद तिरंगे को लेकर एक सीक्वेंस क्रिएट किया गया है। जिसमें तिरंगा गिर रहा है, अभिनेत्री स्लो मोशन में दौड़ रही है, सैनिक लाठी से पीट रहा है।

ये सीन देखकर मुझे फिल्म तीस मार खान के आतिश कपूर की याद गई। मतलब इतना कमजोर स्क्रीनप्ले। उषा मेहता के बचपन वाला सीन इतना बनावटी जिसमें कनेक्ट करने की कोई गुंजाइश नहीं।

फिल्म क्रिटिकल मोमेंट्स पर बहुत एवरेज नजर आती है। फिल्म में हर मौके पर देशभक्ति वाले एलिमेंट्स हैं लेकिन उससे कनेक्ट करने के लिए जो इमोशनल टच जाए उसकी कमी हर जगह नजर आती है। इस फिल्म को यदि कोई और बनाता तो शायद बेहतर आउटकम निकलकर आ सकता था।

Ae Watan Mere Watan Hindi Review- Performances

एक्टिंग की बात करें तो सारा अली खान इमोशनल पार्ट अच्छे से प्ले करती हैं। लेकिन जबरदस्ती एक्टिंग करने के चक्कर में सब कुछ फैल जाता है। इमरान हाशमी पर लुक के अलावा कोई और काम नहीं किया गया है। लोहिया जैसे बड़े व्यक्तित्व को एकदम कैजुअली बनाया गया है।

Sparsh Shrivastav लापता लेडीज के बाद एक बार फिर सही  काम करते नजर आए हैं। सचिन खेडकर, अभय वर्मा ठीक लगे हैं। अंग्रेजों में मुंबई पुलिस का अफसर का किरदार अच्छा है।

फिल्म फ्रीडम फाइटर उषा मेहता की जरूरी और याद करने लायक कहानी बताती है जिसे जानने के लिए आप किताबों का सहारा लेकर पढ़ सकते हैं लेकिन फिल्म देखकर उन्हें जानने का जोखिम ना उठाइए।

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मैं सत्यम सिंघई पिछले वर्तमान में दैनिक भास्कर में काम कर रहा हूं। फिल्मों और बिंज वॉचिंग के साथ मैं पिछले 1-2 सालों से सिनेमा पर लगातार लिख रहा हूं।

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