Maidaan Hindi Review : ” जो जीत के उस पार है, उसे बेशक मुबारक हो, लड़खड़ा के गिरा जो फिनिश लाइन पर, हरा हुआ तो मत कहो उसे ”

बात फिल्म Maidaan की हो रही है। फिल्म भारतीय फुटबॉल की Golden Age और Team of Comebacks की कहानी कोच Syed Abdul Rahim के किरदार के सहारे सुनाती है। ज्यादा जानना हो तो लाल अक्षरों पर क्लिक कर लें।

Maidaan Hindi Review


” जब नींव ही कमजोर हो तो मकान की छत बदलने से क्या फायदा “

एक दो शब्द इधर उधर कर दिए जाएं तो यह फिल्म के लीड कैरेक्टर अजय देवगन का पहला डायलॉग है। इस तक पहुंचने से पहले तक भारतीय टीम हेलेंस्की ओलंपिक 1959 में युगांडा से 1-10 से हार चुकी है और अब हार की जिम्मेदारी कोच के हवाले कर दी गई है।

जैसे तैसे खुद का पद बचाते हैं और निकल पड़ते हैं नई टीम बनाने भारत के गली-कूचों में। टीम बनती है और अगले ओलंपिक उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती है लेकिन हार जाती है।

Maidaan Trailer

राजनीति खेल पर हावी होती है और कोच को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है और स्क्रीन पर हिंदी मध्यांतर और अंग्रेजी में हाफ टाइम लिखा आ जाता है।

इंटरवल के आस पास कहानी कोच रहीम साहब की पर्सनल लाइफ में शिफ्ट होती है। फिर एक टर्निंग पॉइंट आता है। अब्दुल रहीम फिर कोच बनते हैं। फिर शुरू होता एक घंटे से भी लंबा और मजेदार क्लाइमैक्स सीक्वेंस।

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स्पोर्ट्सपर्सन बायोपिक है मैदान

Maidaan को स्पोर्ट्स बायोपिक कहना पूरी तरह से सही नहीं हैं। इसे स्पोर्ट्सपर्सन बायोपिक कहा जाना चाहिए क्योंकि फिल्म खेल की नहीं बल्कि कोच सैयद अब्दुल रहीम की कहानी बताती है।

Maidaan का प्लॉट काफी हद 2016 में आई Akshay Kumar की फिल्म Gold से मेल खाती है। लेकिन फिल्म अपने आस पास घटने वाली चीजों से कम प्रभावित को कैरेक्टर को फोकस में रखती है।

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इमोशन बहुत मिलेगा

Maidaan की शुरुआत अच्छी और सटीक है। पहले 45 मिनट का पेस इंटरेस्टिंग है। बीच में कहानी थोड़ी सी स्लो पड़ती है लेकिन आखिरी घंटा फिल्म को बचा ले जाता है। खास तौर पर अंतिम 15 मिनट स्क्रीन के साथ दर्शकों के इमोशन में भी उथल पुथल मचा देते हैं।

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स्क्रीनप्ले ठीक ही कहा जाएगा। 60’s के दौर की जमावट अच्छी है। लेकिन वीएफएक्स और तकनीक के प्रयोग में थोड़ी सी कमी रह जाती है। हालांकि फुटबॉल को चेज करने वाले सीन्स का क्राफ्ट अच्छा है। कहानी के बीच में जाकर स्क्रीनप्ले की सिलाई ढीली पड़ जाती है यहां दर्शक सीट पर टिक कर थोड़ा फोन देख सकता है।

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अजय देवगन टर्निंग पॉइंट हैं

इस थोड़े से कमजोर दौर में Ajay Devgn को अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने का मौका मिलता है। उनकी खांसी कई बार असहज करने का काम करती है। वे लंबे लंबे डायलॉग बोलने की बजाय सीरियस एक्सप्रेशन पर डिपेंड करते हैं।

Priymani, Gajraj Rao और अन्य कास्ट की एक्टिंग बढ़िया है। फुटबॉल टीम के खिलाड़ी असली खिलाड़ियों से मिलते जुलते नजर आएं इस पर बारीकी से काम किया गया है। पोस्ट प्रोडक्शन में दिखाई गई तस्वीरों से इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

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Goosebumps गारंटीड

Maidaan को एक अच्छी Goosebumps वाली फिल्म बनाने में AR Rahman के म्यूजिक का भी बड़ा हाथ है। फिल्म के टाइटल सॉन्ग का इंस्ट्रूमेंटल यूज बढ़िया है और अंत में आने वाला स्लो म्यूजिक क्लाइमेक्स की जान है।

स्पोर्ट्स फिल्म में डायलॉग बेहद जरूरी हो जाते हैं Maidaan के डायलॉग जरूरत पर लैंड करते हैं। जिसे Sidhant Mago और Ritesh Shah ने लिखा है। स्टोरी लिखने वाले Akash Chawla और Arunava Joy Sengupta भी तारीफ के हकदार हैं।

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फिल्म से अगर Chak De India जैसी उम्मीद लगा रहे हो तो रहने दो, अगर Maidaan ही देखना हो तो देख आओ। बाकी एक बात और अगर खेल के साथ राजनीति फ्री ना होती तो भारतीय फुटबॉल आज अभी से बेहतर स्थिति में होता।

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