Vaazha Hindi Review : स्कूल के दिन सभी को याद आते हैं जब हम पर पढ़ाई का प्रेशर बनाया जाता था। लेकिन हम खेलने कूदने की तरफ भागते थे।

ज्ञान नहीं दे रहा हूं ये कॉन्सेप्ट है हॉटस्टार की ताजा रिलीज फिल्म Vaazha का। स्कूल में जो बंक मारने लड़कों का गैंग होता था ना फिल्म उन्हीं के अराउंड बुनी गई है। ट्रेलर देखें…

Vaazha Hindi Review: हर किसी का बायोपिक

फिल्म की टैगलाइन Biopic Of A Billion Boys इसी तरफ इशारा करती है। इसका मतलब है कि ये देश के उन सभी लड़कों की कहानी है जिनका स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा शरारतों में टाइम स्पेंट होता था।

फिल्म उन लड़कों की कहानी है जो ना तो पढ़ाकू हैं न ही एवरेज। ये बस किसी तरह पढ़ाई को झेल रहे हैं।

Vaazha Hindi Review : स्कूली दोस्तों की कहानी

पांच दोस्तों का ग्रुप है जिसमें अजो, विष्णु, मूसा, अब्दुल कलाम और विवेक आनंद है। ये अपने पेरेंट्स के सपनों का प्रेशर झेल रहे हैं जो उन्हें बड़ा आदमी बनाना चाहते हैं।

Vaazha इन्हीं लड़कों के स्ट्रगल की कहानी दिखाती है। साथ ही एजुकेशन सिस्टम और पेरेंटिग पर कई सवाल खड़े करती है। हालांकि इस जर्नी में हंसी की कमी नहीं रहती।

Vaazha Hindi Review : एवरेज और उससे ऊपर की फिल्म

फिल्म सिम्पल और रिलेटेबल स्टोरी है। पहले हाफ में दो चार गिने चुने कॉमेडी सीन हैं। जो कहानी को एवरेज बनाते हैं। दूसरे हाफ में भी खास कुछ बदलता नहीं है। लेकिन आखिरी के आधे घंटे तक चलने वाला बाप-बेटे वाला सीक्वेंस फिल्म को एवरेज से ऊपर की तरफ ले जाते हैं।

फिल्म की कास्टिंग को पूरे नंबर दिए जा सकते हैं। लड़कों का ग्रुप अच्छा काम करता नजर आया है। इसमें Amith Mohan Rajeswari, Siju Sunny, Joemon Jyothir, Anuraj OB, और Anu का नाम शामिल है। वहीं मूसा के डैड के किरदार में Noby Marcos स्टैंडआउट करते हैं।

Vaazha Hindi Review : इमोशन, कॉमेडी अच्छे लेकिन कम

फिल्म का म्यूजिक अच्छा है। एडिटिंग में भी मेहनत की गई है। फिल्म एक फुल ऑन कॉमेडी ड्रामा कम सोशल मैसेज जॉनर की फिल्म बन सकती थी, अगर राइटिंग में थोड़ी और मेहनत की जाती। हालांकि जितने इमोशनल और कॉमेडी सीक्वेंस डाले गए हैं वे डिलेवर करके देते हैं।

लेकिन इनकी कमी के चलते कहानी कई हिस्सों में स्ट्रगल करने लगती है और ऑडियंस का ध्यान भी भटकता है। फिल्मों लड़कों के अलावा कुछ और कैरेक्टर को बेहतर ढंग से स्क्रीन पर उतार सकती थी, जो शायद बेहतर सब प्लॉट दे पाते।

Vaazha Hindi Review : मैसेज पहुंच गया है

इन सब के बीच फिल्म उस सोशल मैसेज को लोगों तक पहुंचा देते है जिसके लिए इसे बनाया गया है। फिल्म का यूनिवर्स इतनी छूट देता है कि कोई भी व्यक्ति इस कहानी को अपने से जोड़ सकता है।

डायरेक्शन में फिल्म को बेझिल ना बनाने की पूरी कोशिश की गई है लेकिन इमोशन की भरमार के चलते कहानी का पेस थोड़ा स्लो पड़ जाता है। लेकिन Anand Menon की इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।

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Manjummel Boys Hindi Review : स्क्रीन प्ले में ढील, इमोशन कनेक्ट अच्छा है

Manjummel Boys Hindi Review :

जाने नहीं देंगे तुझे। फिल्म थ्री इडियट का ये गाना और इसके आस-पास की स्टोरी दोस्त और दोस्ती के इम्तिहान और सीरियस दिखाने की कोशिश करती है। 

इसी टोन को पूरी की पूरी फिल्म के तौर पर दिखाने का काम करती है मलयालम भाषा की फिल्म Manjummel Boys. फिल्म की खास बात जो है कि फिल्म एक सच्ची घटना पर बेस्ड है। ट्रेलर देखें

फिल्म की कहानी दर्जन भर से ज्यादा लड़कों के एक ग्रुप की कहानी है। जो कोची के पास Manjummel नाम की जगह पर रहते हैं। ज्यादातर लड़के नई उम्र के हैं। ऐसे में नाम के लिए काम करते हैं। बाकी रस्साकशी का खेल ऐसी कड़ी है जो इन सभी को आपस में जोड़ती है। पूरा रिव्यू पढ़ें…

Nanpakal Nerathu Mayakkam Hindi Review : पुनर्जन्म का बेहतरीन ड्रामा 

Nanpakal Nerathu Mayakkam Hindi Review

  फिल्म की कहानी ट्रैवल करके केरल लौट रहे एक ग्रुप की है। 

बस में सभी लोग सो जाते हैं, लेकिन उनका साथी जेम्स बीच में गाड़ी रुकवाता है और उतरकर कहीं चला जाता है। काफी देर बाद भी वापस नहीं आता तो उसकी खोज-बीन शुरू होती है। जब वह मिलता है तो वो जेम्स से सुन्दरम बन जाता है।

उसे देखकर गांव वाले और बस के सभी साथी हैरान-परेशान हो जाते हैं। कहानी की परतें खुलती हैं तो पुनर्जन्म टाइप का मामला सामने आता है। कहानी मात्र सुबह से लौट सुबह और फिर शाम होने तक की है। 

इसी बीच पता चलता है कि कौन साथ है कौन नहीं? कौन अपना है कौन पराया? क्या जेम्स वापस घर जाता है या वहीं रुक जाता है, जानने के लिए देखनी होगी फिल्म। पूरा रिव्यू पढें…

Tumbbad Hindi Review : यूनिक कॉन्सेप्ट जो कहीं मुद्दे से नहीं भटकता 

Tumbbad Hindi Review

फिल्म आजादी से पहले 1918 में पश्चिमी भारत के एक गांव Tumbbad से शुरू होती है। कहानी के सेंटर पार्ट में 10-12 साल का विनायक और उसका परिवार है। 

विनायक की पुश्तैनी ताल्लुक एक हस्तर और उसके खजाने से जुड़ते हैं। इसी के चक्कर में उसके परिवार को गांव छोड़कर पूना शिफ्ट होना पड़ता है। 

यहां से तीन चैप्टर में बंटी कहानी का दूसरा चैप्टर आता है। इसमें विनायक बड़ा होकर फिर खजाने की तरफ लौटता है। उसके हाथ खजाने तक पहुंचने का आइडिया लग जाता है और रातों वो अमीर होना शुरू हो जाता है। 

तीसरे चैप्टर में कहानी अधेड़ विनायक और उसके बेटे की कहानी बताती है, जहां विनायक अब अपने बेटे को खजाने तक पहुंचने के लिए तैयार कर रहा है। कुछ हद तक वो कामयाब भी होता है। लेकिन बहुत कुछ दांव पर लगाकर। पूरा रिव्यू पढ़ें…

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