All We Imagine as Light Hindi Review : लोग कहते हैं ये सपनों का शहर है, लेकिन मुझे तो भ्रम का लगता है। 

बात मुंबई शहर की हो रही है। इसी शहर में रहते हैं All We Imagine as Light के तीन महिला किरदार। तीनों को आपस में जोड़ने वाली बात है कि तीनों ही पेशे से नर्स हैं। 

पहला किरदार प्रभा यानी Kani Kusruti का है। जो बिहेवियर से हार्ड लेकिन अंदर से सॉफ्ट हार्टेड है। उसकी शादी हो चुकी है लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद से ही पति जर्मनी जा चुका है, जो समय-समय पर कुछ न कुछ सामान भेजकर अपने जिंदा होने का महज एहसास दिलाता रहता है। 

All We Imagine as Light Hindi Review : कहानी के तीन किरदार

प्रभा की एक साथी अनु यानी Divya Prabha है। जो गुपचुप तरीके से शियाज यानी Hridhu Haroon से प्यार भी करती है। अनु दायरे में सिमटने वे कम और पंख फैला उड़ने में ज्यादा विश्वास रखती है। 

इन किरदारों के सहारे से कहानी हमें मुंबई शहर के मायाजाल और उसमें फंसे लोगों की घुटन से रुबरु करवाती है। कहानी इससे बाहर भी निकलती है। जिसका सहारा बनता है तीसरा किरदार। 

पार्वती कहानी का तीसरा किरदार है। इसे Chhaya Kadam ने प्ले किया। जो प्रभा और अनु को अपने गांव रत्नागिरी ले जाती है। जहां उन दोनों को मुंबई शहर के अंधेरे के बाद उजाला या लाइट दिखाई देती है। 

All We Imagine as Light Hindi Review : वाह-वाही के बाद आई है

All We Imagine as Light का एक साधारण आर्ट सिनेमा कहकर छोड़ दिया जाता। लेकिन फिल्म इससे पहले कान फिल्म फेस्टिवल और अन्य कई प्रतिष्ठितों स्क्रीन्स पर प्रदर्शित होकर पहुंची है। ऐसे में फिल्म से पहले उसके चर्चे सिनेमा के कह चाहने वालों तक पहुंच चुके हैं। 

फिल्म मुंबईकर और मुंबई के दौड़ भाग वाले कल्चर को एक तरह क्रिटिसाइज करती है। इस शहर में कई तरह के अलग-अलग जगहों से आने वाले लोग हैं लेकिन उनमें कमी है अपनेपन की और इमोशनल अटैचमेंट की। 

All We Imagine as Light Hindi Review : थीम डार्क, मैसेज साफ

फिल्म का बड़ा हिस्सा अंधेरे और डार्क बैकग्राउंड में फिल्माया गया है। लेकिन कहानी जब रत्नागिरी पहुंचती है तो उजाले खुल के सामने आता है। जो बताता है कि मुंबई ने जिंदगी में सिवाय अंधेरे के कुछ नहीं घोला। जबकि एक छोटे से गांव ने सिर्फ खुशियों के उजाले दिए हैं। 

फिल्म के डायलॉग सटीक लगते हैं, इनमें तंज के साथ सोचने पर मजबूर कर देने वाली क्षमता है। किरदारों की परिस्थिति के हिसाब ठीक सीन और डायलॉग मिले हैं। 

Payal kapadia ने All We Imagine as Light में अकेलेपन, अप्रत्याशित दोस्ती और पीढ़ियों के बीच सच्चे संबंधों के बनने की एक इमोशनल और सेंसिटिव कहानी बुनी है। कहानी दूसरे शहरों से मुंबई आए लोगों की स्ट्रगल को स्क्रीन पर रखने में कामयाब होती है। 

All We Imagine as Light Hindi Review : किरदार देखिए, असरदार देखिए

कानी ने प्रभा के किरदार में एक ऐसी महिला की बारीक तस्वीर पेश की है जो अकेलेपन और अनकही इच्छाओं से जूझ रही है। उन्हें फिल्म फेस एक्सप्रेशन दिखाने के पूरे मौके देती है, जिसमें वे सफल भी रहीं हैं। 

जब प्रभा (कानी) कुकर को गले लगाती है, जो गहरे तरीके से उसके परिवार की चाह को दर्शाता है। यह एक ही फ्रेम फिल्म के मानवीय संबंधों की गहरी खोज को दर्शाता है और अकेलेपन के अनुभव को व्यक्त करता है।

दिव्या प्रभा ने अनु के रूप में बढ़िया काम किया है। सहज और इंडीपेंडेंट सोच वाली लड़की जो इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट से जूझ रही है। प्रभा ने इस किरदार के इमोशनल को बढ़िया उतारा है।  

छाया कदम ने पार्वती के रूप में अपनी भूमिका को बहुत मजबूती और दुख के साथ अदा किया है, जो एक महिला के रूप में अपने घर और इज़्जत को बढ़ते दबावों के बीच बचाने की कोशिश कर रही है। इनके बीच की केमिस्ट्री और भावनात्मक गहराई फिल्म का पॉजिटिव है। 

कुल मिलाकर पायल कपाड़िया की स्टोरीटेलिंग बेहतरीन है। इसमें एक्टर्स का भी साथ मिला है। जो इसे लोगों के जेहन में उतारने में मदद करता है। (All We Imagine as Light Hindi Review)

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Freedom At Midnight Hindi Review : पाकिस्तान को पीटने वाली नहीं उसके बनने वाली कहानी

Freedom At Midnight Hindi Review

कहानी मई 1946 में शुरू होती है। फ्रीडम मूवमेंट खत्म हो चुका है। अंग्रेज भारत, हिंदुस्तानियों के हाथ में सौंप कर जल्दी से जल्दी यहां से निकलना चाहते हैं। शो के शुरुआती हिस्सों में नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनते दिखाया जाता है, जो देश के पहले पीएम भी होंगे। इसी तरह कहानी मोहम्मद अली जिन्ना से भी परिचय करवाती है, जो टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

बैकग्राउंड सेटअप के बाद कहानी थोड़े-थोड़े अंतराल में पहले कलकत्ता, फिर नोआखली, फिर रावलपिंडी के कहूटा, और आखिर में बिहार की सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को दिखाती है। 

ये घटनाओं कहानी को तेजी से पार्टीशन की तरफ ले जाती हैं। जिसके गांधी सबसे बड़े विरोधी है, जिन्ना और मुस्लिम लीग इसके हितैषी हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से नेहरू और सरदार पटेल सत्ता और देश के बीच असमंजस में झूल रहे हैं। पूरा रिव्यू पढ़ें…

Sabarmati Report Hindi Review : गोधरा कांड पर मीडिया की कितनी पैनी नजर थी, फिल्म बताएगी

Sabarmati Report Hindi Review

कहानी समर से शुरू होती है। जो हिंदी मीडिया के में फिल्मी बीट के पत्रकार की हैसियत रखता है। इंग्लिश वाले पत्रकार उसे C से कुछ समझते हैं।

इसी बीच गोधरा कांड की घटना हो जाती है। घटना रियल में क्या थी उसके लिए आर्टिकल लिखा गया है। इसमें ट्रेन में आग लगा दी जाती है और 59 लोगों की मौत हो जाती है।

अंग्रेजी मीडिया की तरफ से इस इवेंट को कवर करने के लिए तेज तर्रार अंग्रेजी एंकर मनिका को भेजा जाता है। मानिका कैमरा मैन के तौर पर समर को साथ ले जाती है। लेकिन चैनल मालिकों की मांग पर घटना को वैसा कवर नहीं करती जैसा समर अपनी आंखों से देख रहा है। पूरा रिव्यू पढ़ें…

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