Gullak S04 Review :  पिता,पुत्र और प्रेम पत्र। इन तीनों चीजों का एक साथ मिलना हमारे देश में बरमूडा ट्रायंगल से कम नहीं है। इनके बीच में जो भी आता है नष्ट हो जाता है। (Gullak S04 Trailer Watch Here)

यहां बरमूडा त्रिकोण के रहस्य से पर्दा नहीं उठाया जा रहा है बल्कि Gullak S04 Review परोसा जा रहा है। पिता,पुत्र और प्रेम पत्र इसी सीरीज के पांचवे एपिसोड का टाइटल है। लेकिन शुरुआत तो पहले से करनी होगी ना, तो चलिए।

Gullak S04 Review

बस पांच एपिसोड की बात है…

3 दमदार सीजन के बाद गुल्लक का चौथा सीजन आ चुका है। पहले एपिसोड का नाम है कारण बताऊ नोटिस। इस एपिसोड की शुरुआत बताती है कि मिश्रा परिवार के मुखिया अब भी सदाबहार बने हैं, उनकी पत्नी का स्पीकर फुल वॉल्यूम पर है। बड़े बेटे के कंधे पर नौकरी का बस्ता है और छोटा वाला जवानी के तेज रफ्तार घोड़े पर सवार है।

पहले एपिसोड की कहानी में घर को तोड़ने का नोटिस आया है जिसकी वजह है नक्शे के गैर मुताबिक निर्माण। दूसरा एपिसोड छिनैती। जिसमें कहने को तो शांति मिश्रा के गले का आभूषण छिनाता है। लेकिन मिश्रा परिवार का चैन भी उसके साथ चल पड़ा है। तीसरा एपिसोड घर का कबाड़, पुरानी चीजों और रिश्तों के लगाव का गवाह है।

चौथा एपिसोड तीसरा पहिया नई उम्र के प्यार की कहानी कहता है और आखिर में आता है पांचवा एपिसोड जिसका नाम ऊपर लिखा है। इसमें क्या होगा और सीरीज की एंडिंग कैसी होगी। इसका अंदाजा दर्शक लगा चुके हैं।

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टू द पॉइंट बात होगी…

कहानी से शुरू करते हैं Gullak S04 चिर-परिचित अंदाज में शुरू होता है, कोई भूमिका नहीं बांधता सीधा मुद्दे पर आता है। पहले एपिसोड में मुद्दा बड़ा उठाया गया है और पति-पत्नी के साझेदारी को दिखाया गया है। लेकिन सुविधा शुल्क और जिस तुनकमिजाजी से इसे खत्म किया गया है, वो आइडियलिज्म पसंद करने वाले दर्शक को काफी हद तक खटक सकता है।

दूसरा एपिसोड शायद सीरीज का सबसे सीरियस हिस्सा है। इसमें डायलॉग पर डिपेंड होकर जो सीरियसनेस बिल्ड की गई है, वो देखते ही बनती है। वहीं सबसे स्ट्रॉन्ग पॉइंट को कहां और कैसे खर्च करना है ये बात डायरेक्टर से सीखने जैसी है।

काफी सीरियस हो जाने के बाद तीसरे एपिसोड में कहानी फिर से मजाकिया पटरी पर लौटती है। जिस लिहाज की कॉमिक टाइमिंग की शो से एक्सेप्टेशन रखी जाती हैं ये एपिसोड पूरा करता है। आखिरी के दो एपिसोड करीब डेढ़ घंटे के हैं, जो थोड़े से स्ट्रेच्ड लगते हैं।

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कुछ तो छूट रहा है…यार

ओवरऑल कहानी की बात की जाए तो Gullak S04 की कहानी पिछले तीनों सीजन के मुकाबले काफी कमजोर नजर आती है। क्योंकि हर एपिसोड अपने आप को बस खत्म करना चाहता है किसी भी तरह। इससे पहले तक कहानी दर्शक को साथ लेकर चलती थी उसे परिवार में गोते लगवाकर इमोशन से भिगोने का काम करती थी, जो इस बार नहीं हो सका है।

आंख में चुभने वाला कबाड़ तराजू पर चढ़ते ही ऐसा लगने लगता है जैसे बेटी की डोली उठ रही हो।

एपिसोड 3 से

सीरीज का सबसे मजबूत पक्ष इसके डायलॉग माने जा सकते हैं। मैं तो यहां तक कहूंगा कि सीरीज के डायलॉग भर के लिए इसे एक बार देखा जा सकता है। इसी बीच आने वाले शिवकांत के मोनोलॉग इन्हें और रोचक बनाते हैं।

एक कमी लगती है कि इस बार पिछले सीजन की तरह म्यूजिक को कमतर रखा गया है। लेकिन कैमरा एंगल और सिनेमेटोग्राफी सीरीज को मजबूत बनाती है। घर वही है लेकिन फिल्माने का अंदाज बदला है। अलग अलग एंगल से फिल्माए गए सीन, नयापन देने का काम करते हैं।

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सीजन खत्म … बात खत्म

इसके अलावा सीरीज लाइव लोकेशन यानी भोपाल को भी एक्सप्लोर करती है। जिसमें पुराना भोपाल, 6 नंबर, नादरा, आईएसबीटी से लेकर निर्माणाधीन मेट्रो तक दिखाया जाता है। मतलब कहानी घर से बाहर निकलकर भी परफॉर्म करने का प्रयास करती है।

एक्टिंग की बात की जाए तो मिश्रा परिवार हमेशा की तरह जोरदार है। नए किरदारों में निगम वाले बाबू और कबाड़ी वाले ने दिल जीता है। बिट्टू की मम्मी ने भी खटास लाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।

पिछले सीजन्स से कम्पेरिजन करने पर ये सीजन बहुत ज्यादा कमजोर है। किस्से इमोशन से परिचय तो करवाते हैं लेकिन जब तक उन्हें दर्शक जीने की कोशिश करने लगता है सीरीज खत्म हो जाती है। कुल मिलाकर मेकर्स ने जैसे तैसे इस सीरीज को आखिरी सीजन के साथ समेटने की कोशिश की है।

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मैं सत्यम सिंघई पिछले वर्तमान में दैनिक भास्कर में काम कर रहा हूं। फिल्मों और बिंज वॉचिंग के साथ मैं पिछले 1-2 सालों से सिनेमा पर लगातार लिख रहा हूं।

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