Panchayat S03 Hindi Review : मोबाइल स्क्रीन के टाइम बताने वाले तीनों खानों में शून्य दिखाई पड़ रहा है। इशारा तारीख बदलने का भी है। इस बीच टेलीग्राम पर टुक टुक से लेकर प्राइम वीडियो के ढुम्म तक सुगबुगाहट बढ़ चुकी है। ये भगदड़ बता रही है कि पंचायत के तीसरे सीजन के दरवाजे आम जनता के लिए खोल दिए गए हैं।
Panchayat S03 Hindi Review
नए सचिव जी आए हैं …
अब नजर सड़क की तरफ दौड़ाइए। इन दिनों की हीट वेव जैसा ही मौसम लग रहा है। धूप को चीरते हुए एक मोटर साइकल पर एक आदमी बैठा चला आ रहा। गाड़ी ठीक पंचायत भवन के सामने आकर रुक जाती है। लेकिन पंचायत भवन के गेट पर वही पहले सीजन वाला ताला पड़ा हुआ है।
अब नवागत फोन मिलाता है प्रधान जी को और परिचय देता है कि हम गांव के नए सचिव हैं। ये Panchayat S03 का इंट्रोडक्शन सीन है। सीरीज आठ एपिसोड्स में बंटी है।
शुरू से ही इमोशनल …
कहानी नुमा देखना है तो पहला एपिसोड नए सचिव को टरकाने में और पुराने को वापस लाने में गुजर जाता है। फिर दूसरे एपिसोड से शुरु होती है आवास की लड़ाई। इस लड़ाई के साथ कहानी दूसरे और तीसरे एपिसोड में किरदारों की प्रेजेंट कंडीशन से भी परिचय करवा देती है और कुछ स्थायी और गैर स्थायी नए किरदारों से मिलवा भी देती है।
चौथे-पांचवे एपिसोड तक कहानी वाया पॉलिटिक्स गांव वर्सेज विधायक बन जाती है। फिर शांति समझौते की कोशिश होती है, और कुछ पुराने चेहरे दिखते हैं। आखिरी एपिसोड तक CAT के एग्जाम की तारीखें भी आ जाती हैं। लेकिन इससे पहले गांव वालों को किसी और परीक्षा से गुजरना है।
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सब कुछ बिखरा बिखरा है…
पंचायत का पहले सीजन के पांचों एपिसोड में एक मुद्दा एक एपिसोड वाला हिसाब किताब था। दूसरे सीजन में एकाध एपिसोड में कहानी एक से ज्यादा एपिसोड तक पहुंची। अब तीसरे सीजन में कहानी का रिसाव कई एपिसोड तक पहुंच चुका है।
कहानी इस बार पिछले सीजन के इमोशनल फेज से शुरु होती है और पहले तीन एपिसोड तक इमोशन की बाढ़ रह रहकर आती है। जब जब प्रहलाद चा स्क्रीन पर आते, इमोशन फूटने लगते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक के सुर बदल जाते हैं। चौथा एपिसोड गेदरिंग पॉइंट है यहां से कहानी लाइट मोड की तरफ बढ़ती चली जाती है।
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नए कैरेक्टर बढ़िया हैं…
कहानी का लाइट होना और जरूरत से थोड़ा से ज्यादा पॉलिटिकल हो जाना, मुझे लगता है Panchayat S03 के नेगेटिव में गिना जा सकता है। लाइट मोमेंट में कॉमिक टाइमिंग की कमी और स्लो पेस सीरीज को कमजोर बनाता नजर आया है।
सीरीज के मेकिंग में इस बार लोकेशन को ज्यादा एक्सप्लोर करने की कोशिश की गई है। पंचायत ऑफिस को फ्रंट की बजाय अन्य एंग्ल्स से दिखाना इसी बात को दर्शाते हैं। लेकिन नए के चक्कर में पहले सीजन वाला टच छुप सा गया है।
नए कैरेक्टर बिल्ड किए गए हैं जो शानदार है. इनमें जगमोहन का परिवार उसकी दादी और बम बहादुर जैसे किरदार शामिल हैं। वहीं सीरीज पहले सीजन के कुछ किरदारों को भी इस सीजन में वापस लेकर लौटी है। लेकिन ये महज स्क्रीन टाइम बढ़ाने का साधन और मीम कन्टेंट की दम पर दर्शकों को खेंचने की स्कीम लगता है।
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राजनीति…और सिर्फ राजनीति
पिछले सीजन में Panchayat की एंडिंग को लेकर जो बवाल कटा था उसे दोहराने में मेकर्स चूक गए हैं। यह सीजन उसके लेवल से काफी नीचे नजर आता है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि तीनों सीजन में ये सबसे कमजोर वाला है।
Panchayat S03 में एक और कमी जो लगती है वो है, आम आदमियों से जुड़े किस्सों की कमी। कहानी पंचायती राजनीति में फंस जाती हैं, और TVF की USP रहे छोटे-छोटे मजेदार किस्सों को भूल जाती है।
पिछले सीजन्स के मुकाबले इस बार सोशल इश्यूज पर भी ज्यादा बात नहीं की गई। रिंकी की पढ़ाई, गाड़ी की पिछली सीट पर बैठना जैसे एकाध टॉपिक को छोड़कर बाकी जगह सब खाली खाली है।
क्लाइमेक्स का फाइटिंग सीक्वेंस सही लगा है लेकिन आखिरी सब कमियों को छुपा दे ऐसा दम नजर नहीं आता है।
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एक्टिंग…ठीक है
एक्टिंग की बात करें तो सचिव जी का रोल थोड़ा ट्रिम किया गया है। रिंकी के एक्सप्रेशन से कमाल की एक्टिंग दिखती है। प्रधान जी और मंजू देवी की जुगलबंदी ठीक ठीक लगी है।
जगमोहन और बम बहादुर मुझे लगता है इस सीजन की खोज हैं। भूषण और बिनोद वाली गैंग के रिपिटेटिव से डायलॉग इरिटेटिंग लगने लगते हैं। प्रहलाद चा और विकास का काम बढ़िया है, लेकिन उनसे इस बार कुछ नया निकलकर नहीं आया है। बाकी विधायक जी और उनका गुर्गा छुट्टन अच्छा काम किये हैं।
सीरीज तो देखने वाली है लेकिन पिछले दो सीजन के मुकाबले ये सीजन शर्तिया कमतर है।
रिव्यू और भी हैं…
Aavesham Hindi Review : इमोशन, एक्शन और जबरदस्त साउंड इफेक्ट का मैजिक
इन दिनों एक रील वायरल है, जिसमें एक्टर Fahadh Faasil, 3 नई उम्र के लड़कों के साथ किसी पार्टी में नाच रहे हैं। इनमें से एक लड़का सेल्फी खींचने के लिए फोन निकालता है तभी उसकी मां का कॉल आ जाता है। वो कॉल इग्नोर करता है लेकिन Fahadh Faasil पार्टी रोककर उसे कॉल अटेंड करने को कहते हैं।
मां के एक फोन की अहमियत को दर्शाता सीन महज एक रील नहीं बल्कि मलयालम भाषा की फिल्म Aavesham का एक सीन है। पूरी खबर पढ़ें…
Murder In Mahim Review : सोशल इश्यू वाली कहानी में कमजोर क्राफ्ट
2018 में सुप्रीम कोर्ट का एक वर्डिक्ट आया और सेम सेक्स मैरिज को कानूनी रूप से मान्यता मिल गयी।
लेकिन सोसायटी की सोच का मुकदमा अभी भी रह-रहकर दलील दे रहा है। उन दलीलों पर ओटीटी के कंटेंट ने लगातार चोट की है और अबके जो बार हुआ है वो है Murder In Mahim. ये Jio Cinema की नई सीरीज का नाम है। पूरी खबर पढ़ें…