Birthday Special : कंपनी से शुरुआत करके मस्ती, काल, शूटआउट एट लोखंडवाला, कृष-3 और पीएम नरेंद्र मोदी जैसी तमाम फिल्मों में अपना हुनर दिखाने वाले कलाकार को जन्मदिन की बधाई।
बात हो रही है, फिल्मी जगत में अपनी पहचान रखने वाले विवेक ओबरॉय की।
मगर विवेक की पहचान फिल्मी दुनिया तक ही सीमित नहीं है। अक्सर उन्हें दो और पहचान के लिए भी जाना जाता है। पहली, बिजनेसमैन और दूसरी फिलैंट्रोफिस्ट। दूसरे शब्द का मतलब है परोपकारी। और सरल करके समझाया जाए तो अपने आस-पास के लोगों की भलाई करने वाला।
Birthday Special : रियल स्टेट में कमाया नाम
आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर हम इन्हीं दोनों पहचान को आपसे रूबरू कराने वाले हैं। हालांकि ये दोनों हिस्से उनके पर्सनल कहे जा सकते हैं, फिल्मी दुनिया के इतर। विवेक अब कई इंटरव्यू में अपने आपको बिजनेसमैन के तौर पर भी रखते हैं। इसकी वजह उनके हजारों करोड़ों के प्रोजेक्ट हैं, जो दुनिया के एक हिस्से में आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं।
तो पहले उनके इसी हिस्से की बात कर ली जाए। दरअसल विवेक इन दिनों दुबई के एक टापू पर बेहद खूबसूरत और आलीशान रिहायशी इमारत को बनाने में जुटे हुए हैं। इसमें उनके साथ हैं उनके बिजनेस पार्टनर अंकुर अग्रवाल। दोनों ने मिलकर बीएनडबल्यू नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई है। जी हां विवेक रियल स्टेट की दुनिया में भी अपनी अच्छी खासी पहचान रखते हैं।
Birthday Special : करोड़ों के प्रोजेक्ट
यही कंपनी दुबई के अल मरजान आईसलैंड पर 2300 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसमें आलीशान फ्लैट होंगे। जिनकी कीमत करोड़ों में है। बिजनेस से इतना लगाव की बात करें तो विवेक एक इंटरव्यू की बातचीत में बताते हैं कि उनके पिता समर हॉलीडे में उन्हें कोई ना कोई टास्क देते थे।
Birthday Special : वेकेशन में डैडी के टास्क
टास्क होता था, सामान को बेचने का। गर्मियों की आधी छुट्टियां वेकेशन के लिए बाकी आधी व्यापार के लिए। इस सामान को डैड द्वारा तय किए गए दाम से अधिक में बेचने पर उसकी कमाई हमारी होती थी। इस तरह वो आगे बताते हैं कि दुबई का ये एक्वा आर्क प्रोजेक्ट मेरा 30 वां बिजनेस है। इससे पहले भी मैं कई व्यापार कर चुका हूं।
Birthday Special : जीवन का अहम हिस्सा
ये तो रहीं बिजनेस की बातें। दूसरा पहलू परोपकारी का है। इसके भी कई किस्से विवेक के हिस्से में हैं। ये वाल हिस्सा कतई पर्सनल माना जा सकता है, जिसकी जानकारी बहुत कम ही लोगों को है। खासकर उनकी उस गैंग को तो कतई नहीं, जो उन्हें आज भी एक खास किस्से से जज करते रहते हैं।
खैर विवेक के कई एनजीओ, फाउंडेशन और ऑर्गनाइजेशन भी हैं। इनका खास मकसद है, लोगों की भलाई करना। साल 2004 में इनके द्वारा किए गए परोपकार के कारण इन्हें रेड एंड व्हाइट ब्रेवरी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इस अवार्ड के मिलने की वजह थी, गांव को गोद लेना।
Birthday Special : जब गोद लिया पूरा गांव
दरअसल साल 2004 में भारत के दक्षिणी हिस्से में भीषण सुनामी ने तबाही मचाई थी। इससे हजारों लोगों की लाइफस्टाइल पटरी से उतर गई थी। इसी समय विवेक ओबरॉय ने तमिलनाडु के कुडलौर जिले के एक बर्बाद गांव को गोद लेकर लोगों को सहारा दिया था।
लोगों की भलाई करने के पीछे भी वजह है, परिवार। दरअसल यशोधरा ओबेरॉय फाउंडेशन भी चलाते हैं, जो कि उनका पुश्तैनी एनजीओ है। इसी तरह विवेक वन फाउंडेशन नामक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन भी चलाते हैं। ये संस्था बच्चों को पढ़ाने-लिखाने, उनका इलाज कराने जैसे जरूरी कामों में सहयोग करती है।
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