Vedaa Hindi Review : आज के सिनेमा से लोगों की शिकायत है कि बॉलीवुड के पास नई कहानियां नहीं है। 

इसके पीछे दो वजह हो सकती हैं, पहली हम किसी कहानी को तब तक नहीं देखना चाहते, जब तक उसमें कोई बड़ा चेहरा न हो। बड़े चेहरे के चक्कर में कहानी कंप्रोमाइज हो जाती है। 

दूसरा अगर कहानी आ भी जाती है तो रिलीज कैलेंडर इतना खराब है कि ये टॉपिक क्लैश में फंस जाते हैं। बात फिल्म वेदा की हो रही है, जो 15 अगस्त को थियेटर में और इस वीकेंड ओटीटी पर रिलीज हुई है। ट्रेलर देखें

Vedaa Hindi Review : सेंसिटिव और सच्ची कहानी

फिल्म बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक पर बात करती है, पहले कहानी जान लेते हैं। कहानी 2007 और 2011 की सच्ची घटनाओं पर बेस्ड है। 

Vedaa राजस्थान के बाड़मेर में बेस्ड है। हालांकि फिल्म काल्पनिकता को बरकरार रखने की कोशिश में शुरू होने से पहले लंबा डिस्क्लेमर चला देती है। 

कहानी का सेंटर वेदा है, जो दलित जाति से आने वाली लड़की है। फिल्म हमें शुरू होते ही जातिगत बैठक के नाम पर नीची जाति के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव से रूबरू कराती है। कहानी दूसरा पॉइंट हैं अभिमन्यु जो कोर्ट मार्शल आर्मी पर्सन हैं। 

वेदा कॉलेज में पढ़ती जरूर लेकिन जाति यहां भी रची बसी है। वो बॉक्सिंग सीखना चाहती है लेकिन विरोधी को नहीं व्यवस्था को चित्त करने के लिए। इसी बीच कहानी में ऐसा कुछ होता है कि वेदा के परिवार पर आंच आ जाती है। अपने परिवार को बचाने और बदला लेने और जाति की बेड़ियां तोड़ने में वेदा का सहारा बनता है अभिमन्यु। 

Vedaa Hindi Review : बॉलीवुड वाली अप्रोच

फिल्म हमें पहले ही सीन में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का चित्र दिखाकर अपना रवैया बता देती है। इसके बाद आने वाले सीन्स दलितों की स्थिति को दिखाते हैं लेकिन सिनेमा के लिहाज से रिपीटेशन भी कहा जा सकता है। 

John Abraham का किरदार पर लार्जर दैन लाइफ वाला है। बॉलीवुड का पिछले कुछ सालों सेट पैटर्न है, यदि कैरेक्टर लार्जर दैन लाइफ दिखाना है तो आर्मी पर्सन या स्पाई दिखा दो। आर्मी पर्सन में भी थोड़ा और मासी चाहिए तो कश्मीर में पोस्टिंग दे दो। इससे भी काम नहीं चल रहा तो पीओके में एंट्री करवा दो। फिल्म में सब कुछ हो रहा है। 

Vedaa Hindi Review : कैरेक्टर्स का फ्लो ठीक नहीं

जॉन के किरदार के पीछे मेहनत की गई है उनकी बॉडी पर मेहनत भी ठीक है। लेकिन उनके इंट्रो और बैकड्रॉप में क्रंच की कमी है। कहानी हमें उनसे कनेक्ट होने का मौका ही नहीं देती। 

वेदा जिसे Sharvari ने निभाया है। राइटर इस कैरेक्टर के फ्लो को कभी मेन्टेन नहीं कर पाए हैं। कब दिखाना है, कब पीछे करना है, बहुत कन्फ्यूजन है। 

Vedaa Hindi Review : दो नावों पर सवार कहानी

फिल्म जातिगत मुद्दे पर सीधी सच्ची सोशल इश्यू वाली कहानी बन सकती थी, आर्टिकल 15 टाइप। लेकिन मेकर्स ने फिल्म को मास एंटरटेनर बनाने के लिए उसमें फरिश्ते के रूप में जॉन की एंट्री करवा दी। 

ऐसे में ये कहानी ऊंची और नीची जाति से ज्यादा हीरो और विलेन की बन गई, और रियलिटी से हटकर आइडियलिज्म की ओर चली गई। अगर थोड़ी सी मेहनत और कर ली जाती तो एक अच्छा टॉपिक अच्छी फिल्म में भी तब्दील हो सकता था। 

Vedaa Hindi Review : ये पॉजिटव बातें हैं

बाकी फिल्मांकन के लिहाज से फिल्म अच्छी लगी है। एक्शन सीन्स भी ठीक ठाक हैं। मूविंग शॉट्स सबसे बेहतर बनके निकले हैं।

एक्टिंग में जॉन अब्राहम ने फिर एक बार इन्टेस रोल निभाकर दिखाया है। शारवरी दिन ब दिन बेहतर होने का काम कर रहीं हैं। 

लेकिन लीक से हटके काम Abhishek Banerjee का रहा है। उन्होंने मास विलेन बनने और डायलॉगबाजी में फंसने की बजाय एक्सप्रेशन्स पर फोकस किया है, जो उन्हें स्टैंड आउट करने में मदद करता है। 

बाकी वन टाइम वॉच है, एक्टिंग के लिए और थोड़े से नए टॉपिक के लिए। लेकिन ट्रीटमेंट नाखुश करेगा। 

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सीरीज की कहानी रीता सन्याल नाम की वकील पर बेस्ड है। जो अपने काम को लेकर कॉन्फिडेंट है। इसी बीच उसके पास एक पॉलिटिकल लीडर के खिलाफ केस आता है, और उसकी लाइफ में चीजें बदलने लगती है। 

रीता एक महिला की तरफ से केस लड़ रही है। जो डेथ सेन्टेंस के करीब है। उसके सामने एक चालाक वकील है, जो उसके पास्ट से जुड़ा है। पूरा रिव्यू पढ़ें…

Raat Jawaan Hai Hindi Review : पेरेटिंग की जैसे सॉफ्ट इश्यू की बारीकी दिखाती सीरीज

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कहानी तीन दोस्तों राधिका, अविनाश और सुमन की है। तीनों नए पेरेंट हैं। किसी ने नौकरी छोड़ी है तो किसी ने अपना पैशन। लेकिन दोस्ती बरकरार है, लेकिन बच्चों के कारण पर्सनल स्पेस और फ्रेंडशिप जोन खत्म सा हो गया है।

सीरीज पेरेटिंग के मुद्दे को उठाती है जो लाइट दिखता जरूर है लेकिन लाइट है नहीं। क्योंकि इस पर बात बहुत कम होती है। सीरीज अनछुए पहलू जैसे अपब्रिंगिंग में मेल पेरेंट की भूमिका, परिवार का रूख। इन सब मुद्दों पर सीरीज बात करती है। पूरा रिव्यू पढ़ें…

Gutar Gu 2 Hindi Review : नॉस्टेल्जिया बरकरार लेकिन कहानी प्रिडिक्टेबल है

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दूसरे सीजन की कहानी पिछले हिस्से के बाद शुरू होती है। रितु अहमदाबाद के कॉलेज में पढ़ाई के लिए जाने वाली है। वहीं अनुज के हिस्से भोपाल आया है। 

पहला एपिसोड अनुज की अहमदाबाद जाने की जुगत को दिखाता है। लेकिन जुगाड़ नहीं लगती और बात म्यूचुअल ब्रेकअप के साथ खत्म होती है। 

रितु अहमदाबाद चली जाती है, यहां अनुज अहमदाबाद में होने वाले एक प्ले में पार्ट ले लेता है। प्ले के सहारे कहानी एक साइड लव स्टोरी को जन्म देती है। पूरा रिव्यू पढ़ें…

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