Phir Aayi Hasseen Dillruba Review :चलन से ना चाल से, प्यार करने वाले को परखो उसके दिल के हाल से। ट्रेलर देखें

ये किसी सस्ते शायर का शेर नहीं है। डायलॉग है, नेटफ्लिक्स की नई फिल्म Phir Aayi Hasseen Dillruba का। 2021 में इसका पहला पार्ट Haseen Dillruba, आया था। 

अगर आपने पिछली फिल्म देखी है तो आप जानते होंगे फिल्म का ट्रीटमेंट कैसा रहने वाला है। पिछले पार्ट सस्ते नोबेल की कहानी जैसा था। लेकिन फिल्म को इंटेरेस्टिंग ढंग से दिखाया गया। जबकि इस बार की कहानी फैली हुई नजर आती है। 

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review : नए शहर में कहानी

पिछले पार्ट के कत्लेआम के बाद रिशू और रानी पहाड़ी शहर छोड़कर आगरा में आ बसे हैं। पहले शहर काल्पनिक था इस बार असली है। Phir Aayi Hasseen Dillruba की कहानी किरदारों के पिछले पापों को ढांकने-छिपाने की है। दो आरोपी हैं, इन पर मर्डर का चार्ज है, तो कदम-कदम पर चोर पुलिस वाला खतरा तो रहना ही है। 

चोर पुलिस की लड़ाई के बीच, मकसद एक ही है कि रानी और रिशू फिर एक दूसरे के हो जाना चाहते हैं, और भागकर कहीं दूर जाना चाहते हैं। लेकिन नए किरदार भी हैं चरस बोने के हिसाब से। 

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review

एक किरदार है अभिमन्यु का। जो रानी का दिलफेक आशिक है। लेकिन रानी के लिए अपनी गोटी साधने का एक मोहरा मात्र है। नए इंस्पेक्टर साहब हैं जो पुराने पापों का बदला लेने आएं हैं क्योंकि उनके लिए मैटर पर्सनल है। बाकी पुराने लोग तो है हीं। 

रानी-रिशू फिर पुलिस की आंख में धूल झोंक देंगे या इस पुलिस पंडित जी के नोबेल वाली गुत्थी सुलझा लेगी? जवाब के रूप में पूरी फिल्म है। 

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review : इंगेजमेंट वो क्या होती है

पहला पार्ट अगर थोड़ा बहुत अच्छा बन जाए, तो दूसरा पार्ट देखना रिवायत बन जाती है। Phir Aayi Hasseen Dillruba देखना इसी का हिस्सा है। लेकिन फिल्म को देखकर कुछ खास हासिल नहीं होता। 

सबसे खराब बात है फिल्म रैंडम टाइप शुरू हो जाती है। बहुत कम ऐसी जगह हैं जहां कहानी दर्शक को इंगेज करती है। शुरू के कुछ दस मिनट बाद ही प्लॉट खुलकर बिखर जाता है। फिर अगले दो घंटे सिवाय समेटने की कोशिश के ज्यादा कुछ नहीं होता। 

फिल्म के स्क्रीनप्ले में सिर और पैर ना हैं, ना ढूंढने की गुंजाइश करनी चाहिए। डायलॉग तो एक दम सस्ते और छपरी टाइप लगते हैं। म्यूजिक है लेकिन जरूरी और रिलेवेंट नहीं है। 

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review : राइटर किसने बनाया इन्हें

राइटर्स फिल्म लिखने में बुरी तरह चूक गए हैं। वे शायद समझ ही नहीं पाए कि उन्हें लिखना क्या और दिखाना क्या है। 

ऐसे समझिए दो नए किरदार आए हैं पहला सनी कौशल, उन्हें क्या करना है क्या नहीं कुछ भी तय नहीं है। ऐसा ही हाल जिमी शेरगिल का है। दोनों को बेहतर ढंग से वेस्ट किया गया है। 

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review

तापसी को जबरदस्ती ग्लैमरस दिखाने की कोशिश की गई जो कतई जंचती नहीं हैं। 12th फेल जैसी दमदार परफॉर्मेंस के बाद विक्रांत मेसी को इस तरीके के किरदार में देखना बुरा अनुभव है। 

मर्डर मिस्ट्री तो इसे कहा नहीं जा सकता, थ्रिलर ये हैं नहीं, लव स्टोरी बोलने में शर्म आएगी। फिल्म कुल मिलाकर बोरिंग एक्पीरियंस बनकर रह जाती है। 

AMKDT Hindi Review : औरों का पता नहीं, कहानी में तो दम नहीं था
AMKDT Hindi Review

AMKDT Hindi Review : नीरज पांडे ऐसे डायरेक्टर हैं जिनका नाम स्क्रीन पर आते ही हम स्पाय या देशभक्ति से जुड़ी किसी फिल्म की उम्मीद लगाते हैं। ये ना सही दो एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी जैसी बायोपिक या स्पेशल 26 जैसी कोई सस्पेंस थ्रिलर तो इनकी तरफ से मिलनी ही चाहिए।

लेकिन इस बार Neeraj Pandey का नाम एक लव स्टोरी के साथ जुड़ा है। जिसका नाम है Auron Mein Kahan Dum Tha. फिल्म कास्ट में  Ajay Devgn, Tabu, Jimmy Sheirgill, Shantanu Maheshwari और Saiee Manjrekar जैसे नाम शामिल हैं। पूरा रिव्यू पढ़ें…

Railway Men Hindi Review : बढ़िया कास्ट, बेहतरीन कहानी
Railway Men Hindi Review

यह घटना और सीरीज की कहानी 1984 की है। पूरे देश ने अभी एक महीने पहले ही देश की सबसे ताकतवर महिला को खोया है। भोपाल शहर ठीक ठाक चलने लगा है लेकिन सही ढंग से नहीं चल पा रहा शहर के बीचों बीच लगा केमिकल बनाने वाला यूनियन कार्बाइड प्लांट।

प्लांट की रक्त वाहिनियां यानी पाइपलाइन जर्जर हो चुकी हैं जिनसे होकर हर रोज सैकड़ों टन जहरीली गैसें गुजरती हैं। 3 और 4 दिसंबर की रात इन पाइप लाइन का सब्र जवाब दे जाता है। प्लांट की सीमाओं को तोड़कर जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट भोपाल की हवा से जा मिलती है।

इसके बाद एक चलता फिरता इंसान कैसे कुछ ही देर में मुर्दा बन जाता है इसे The Railway Men में दिखाया गया है। पूरा रिव्यू पढ़ें…



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मैं सत्यम सिंघई पिछले वर्तमान में दैनिक भास्कर में काम कर रहा हूं। फिल्मों और बिंज वॉचिंग के साथ मैं पिछले 1-2 सालों से सिनेमा पर लगातार लिख रहा हूं।

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