Kota Factory 3 Review : आइ़डल लैब में तैयार होते हैं रियल लाइफ में नहीं।

हिंदुस्तानी पैरेंट्स सोचते हैं कि उनका बच्चा कोटा जाएगा और एक आइडियल पर्सन बनकर निकलेगा। Kota Factory के तीसरे सीजन के चौथे एपिसोड का ये डायलॉग इस मिथक को धराशायी करता है। (ट्रेलर यहां देखें।)

Kota Factory 3 Review : अब बारी अटैम्पट की…

पहला सीजन जहां ऑर्गनाइजर था तो वहीं दूसरे सीजन में स्ट्रगल दिखाया गया था। अब तीसरे सीजन में बारी है अटैम्पट की। पांच एपिसोड बारी-बारी से गुजरते हैं।

जीतू भैया Aimers से गायब हैं। कारण है डिप्रेशन। पिछले सीजन की घटनाएं अभी भी जीतू भैया की मेंटल हेल्थ को सता रही हैं। जिसका इफैक्ट जीतू भैया और जीतू सर वाले बारीक रेखा को ब्लर करने का काम कर रही हैं।

दूसरी तरफ कहानी का हीरो वैभव पहले एपिसोड में जेलिस फैक्टर से जूझ रहा है। तो दूसरे एपिसोड में रिलेशनशिप इश्यू हैं। आगे के हिस्सों में भी उसके पास सुलझाने के लिए अलग-अलग उधेड़बुन हैं ।

अब बात कहानी के और किरदारों की भी है जिनमें मीना आर्थिक स्थिति के चक्र में फंस रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उदय की गाड़ी भी JEE के सीरियस ट्रैक पर दौड़ने लगी है।

इन सब के बीच टेंशन वाली बात ये भी है कि सीजन 2 साल की तैयारी की परीक्षा और उसके परिणाम वाला है।

Kota Factory 3 Review : माहौल पर खर्चा नहीं हुआ

सीरीज इस बार स्लो पेस पर शुरु होती है। जो एक दो मौकों को छोड़कर ज्यादा तेज नहीं होता। दर्शक को जुड़ने में टाइम लगता है।

जुड़ने से याद आता है कि इस बार बड़ी घटनाओं से पहले माहौल ठीक ढंग से तैयार करने में कहानी कहीं न कहीं चूकी है। उदाहरण के लिए मीना की आर्थिक स्थिति। परीक्षा सेंटर वाला सीन डराने वाला जरूर है लेकिन रिजल्ट में कमी लगती है।

उदय के एक्सीडेंट को भी भुनाया जा सकता था। हालांकि एग्जाम सेन्टर वाला सीन और रिजल्ट वाला सीन सबसे बढ़िया कहा जा सकता है।

Kota Factory 3 Review : सिम्बोलिक सीन

सीरीज को करीब से देखा जाए तो सिम्बोलिक बनाने की कोशिश भी की गई है। जीतू भैया की मेंटल हेल्थ, दीवारों पर आई सीलन। परीक्षा के बाद हवा उड़ते पंछी, रिजल्ट के इंतजार सड़कों के जाल में उलझा हुआ चौराहा। इस बात का उदाहरण है।

एक खास बात और है जिसे डिकोड करना शायद थोड़ा मुश्किल है। वो है KARTA वाली टी शर्ट। अलग अलग जगहों पर कई इसे पहने नजर आते हैं, लेकिन इसके पीछे कोई फिलोसॉफी है या ब्रांड प्रमोशन कहना मुश्किल है।

Kota Factory 3 Review : क्या फिल्माया है भाई

फिल्मांकन भी सीरीज का प्लस पॉइंट है। सबसे पहले तो इसका ब्लैक एंड व्हाइट प्रेजेन्टेशन USP है। इसके अलावा ब्लैक बोर्ड के सीन्स, क्लोज अप्स, मूविंग शॉट्स और ड्रोन शॉट्स शानदार है। उदय और शिवांगी पर ओवरब्रिज के दूसरी तरफ से फिल्माया गया सीक्वेंस हाइलाइट करने जैसा है।

एक्टिंग पर बात होगी लेकिन उसमें राइटिंग के एस्पेक्ट्स भी देखे जाएंगे। जैसे जीतू भैया एक्टिंग सही करते हैं लेकिन उनका किरदार इस बार थोड़ा सा कमजोर लिखा गया है। ऐसा क्यों हैं कहना मु्श्किल है।

वैभव, वर्तिका के रिलेशन पर इस बार ज्यादा फोकस रखा गया है। वैभव अपने मोनोलॉग महफिल में आग लगाने टाइप काम करते हैं। मीना, उदय, शिवांगी शानदार है। पूजा दीदी, गगन सर भी ठीक लगे हैं।

Kota Factory 3 Review : चौथा आएगा ??

सीरीज के डायलॉग हर बार की तरह टू द पॉइंट और कड़क हैं। म्यूजिक में अमित त्रिवेदी पर नुक्श निकालने की गुंजाइश नहीं है।

लेकिन इस बार कहानी उतनी इफैक्टिव नहीं है। जितनी पिछले दो सीजन में होती थी। जिन किस्सों को पहले भुनाया गया था यहां वे थोड़े से कम लैंड हो पाते हैं। इसलिए फॉर्मूला थोड़ा सा पलट जाता है। सवाल ये भी है अगला सीजन आएगा या नहीं। मेरे हिसाब से नहीं होना चाहिए।

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मैं सत्यम सिंघई पिछले वर्तमान में दैनिक भास्कर में काम कर रहा हूं। फिल्मों और बिंज वॉचिंग के साथ मैं पिछले 1-2 सालों से सिनेमा पर लगातार लिख रहा हूं।

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