Fairy Folk Hindi Review : Fairy Folk का मतलब जादुई या बनावटी कहानियां जिनका रियलिटी से कम ही नाता होता है। 1 मार्च के मल्टीपल में रिलीज में फिल्म Fairy Folks का नाम भी शामिल है।

Fairy Folk Hindi Review

फिल्म की कहानी एक कपल मोहित और रितिका पर बेस्ड है। जो मुंबई जैसी जगह पर रहता है और मॉर्डन लाइफस्टाइल का हिस्सा है।

रितिका और मोहित के रोल को Rasika Dugal और Mukul Chadda ने प्ले किया है। रितिका अपने सपनों की तलाश में है और एक्टर बनना चाहती है वहीं मोहित क्या करता है ये नहीं बताया गया है।

कहानी सही चल रही होती है तभी एक रात दोनों के साथ कुछ ऐसा घटता है जो इनकी जिंदगी में बहुत हद तक बदलाव ले आता है। बस यहीं से कहानी ट्विस्ट और टर्न के साथ क्लाइमेक्स तक नहीं एंडिंग तक पहुंचती है।

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फिल्म किस इश्यू को दिखाना चाहती है ये कट टू कट एक शब्द में कह पाना कठिन है। फिल्म के कई हिस्से है जिन्हें जोड़कर कहानी बनती है। मतलब डायरेक्टर Karan Gour ने बहुत कुछ छोड़ा है जिस पर दर्शकों को अपना दिमाग खर्च करना पड़ सकता है।

Fairy Folk का बढ़ा हिस्सा कपल के रिलेशनशिप पर भी टिका रहता है। जहां कपल रिश्ते को बचाने जूझता है झगड़ता है। कुछ कुछ चीजें सिचुएशनशिप जैसी भी लगने लगती हैं। रिश्तों की पटरी से उतरी गाड़ी ही फिल्म का सेंट्रल पॉइंट है।

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करण गौर ने फिल्म के डायरेक्शन के साथ साथ इसकी राइटिंग की जिम्मेदारी भी संभाली है। ऐसे में वे फिल्म को घर के अंदर पति पत्नी वाला किस्सा नहीं बनने देते बल्कि कहानी को थोड़ा वाइल्ड बनाने का काम भी करते हैं। क्रिएचर जैसे एलिमेंट्स इसी का उदाहरण हैं।

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फिल्म लोगों के लिए नई हो सकती है लेकिन डायरेक्टर के लिए ये चीजें नई नहीं है। साल 2011 में आई फिल्म क्षय को भी करण ने ही डायरेक्ट किया। वह फिल्म भी कुछ इसी तरह के टॉपिक को शो करती है।

100 मिनट की इस फिल्म की खास बात ये है कि फिल्म के पास लोगों जोड़े रखने के लिए कुछ अच्छे एलिमेंट्स हैं। इनका यूज भी बेहद सही ढंग से किया गया है।

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Rasika Dugal ने अच्छी एक्टिंग की है। उनका कैरेक्टर लाउड है जो दूसरों को ओवरशैडो करने की भी कोशिश करता है। वहीं Mukul Chadda के एक्सप्रेशन उन्हें सॉलिड टच देते हैं। दोनों की जुगलबंदी भी स्क्रीन पर जोरदार लगी है।

Chandrachoor Rai, Asmit Pathare और Nikhil Desai के नाम और किरदार इतने बड़े नहीं है लेकिन उनकी एक्टिंग में कोई कमी नहीं है।

कुल मिलाकर दिमाग लगाना पसंद है तो जाइए थियेटर खुला हुआ है। लेकिन बॉलीवुड में इस तरह की फिल्मों के लिए दर्शक खोज थोड़ा मुश्किल लगता है।

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