Dunki Movie Review: सिनेमाघरों में फिल्म डंकी ने दखल दे दिया है। फिल्म Dunki की कहानी इलीगल माइग्रेशन पर बेस्ड है। जब किसी भी देश के नागरिक को अन्य किसी देश में जाने के लिए वीजा नहीं मिलता तब उसे अवैध ढंग से उस देश में भेजा जाता है जिसे Dunki या Dunki Way कहते हैं।

रियल लाइफ बेस्ड है डंकी की कहानी
शाहरुख खान और राजकुमार हिरानी की डंकी की कहानी पंजाब के एक गांव उप्पल से इंस्पायर्ड है जिसे प्रवासियों का गांव भी कहा जाता है। डंकी साल 1995 में सेट है। जहां के कुछ लोग काम की तलाश और अपनी टूटी जिंदगी को संवारने लंदन जाना चाहते हैं। कम पढ़े-लिखे, हैसियत से कमजोर इन लोगों को सीधे तौर पर वीजा मिलना कठिन है। ऐसे में ये लोग डंकी से लंदन जाने का फैसला करते हैं। ये लोग लंदन कैसे पहुंचेंगे, कब पहुंचेंगे, पहुंचेंगे भी या नहीं और पहुंच गए तो वहां क्या करेंगे। दो घंटे चालीस मिनट की डंकी इन्हीं सवालों का जवाब देती है।  

SRK-हिरानी की जोड़ी जबर है क्या
डंकी राजकुमार हिरानी की डंकी और उसमें शाहरुख खान का स्टारडम। ये पहली बार था जब ये दोनों चीजें एक साथ स्क्रीन पर नजर आतीं। डंकी एक सिंपल इमोशनल और थोड़ा सा सर्वाइवल ड्रामा है। फिल्म चुटीले अंदाज में शुरू होकर आसानी से मिक्स्ड एंडिंग के साथ खत्म होती है। पहला हाफ सेटल सा है। कहानी पांव जमाती है, दर्शकों को रह-रहकर हंसी आती है। इंटरवल तक इमोशनल ड्रामा शुरू होता है जो दूसरे हाफ तक चलता है। हिरानी हैं तो इमोशन देखने से डर नहीं है। लेकिन इमोशनल जर्नी का पेस थोड़ा ज्यादा फास्ट है कहानी कहीं भी एक मोमेंट पर ठहरती नहीं है।

मोमेंट कहां हैं भाई
फिल्म में थ्री इडियट और मुन्ना भाई जैसे पंच मोमेंट नहीं जो दर्शक को झकझोर कर रख दें। कुछ जगह सीरियस मोमेंट आए तो हैं लेकिन उन्हें भुनाया नहीं गया है। एक एंगल फौजी और देशभक्ति वाला भी है जो ऑन टारगेट नहीं है। कहानी में ओवरऑल कुछ भी ऐसा नहीं मिलता जो दर्शक बाहर लेकर आएं। म्यूजिक थोड़ा अट्रैक्ट करता है। स्क्रीनप्ले ठीक है लेकिन कहानी और पेस के बीच मात खा जाता है। एक्टिंग में शाहरुख खान सही लगे हैं। हालांकि उनका उस तरीके से यूज नहीं किया गया। तापसी पन्नू और बमन ईरानी थोड़े से साइड लाइन लगते हैं।  विक्रम कोचर और अनिल ग्रोवर का सपोर्ट बेहतर है। विकी कौशल का कैमियो ठीक ही है।

देख ही लें या चल जाएगा
फिल्म वॉच वर्थी तो है लेकिन उन सभी एलिमेंट्स की कमी है जो राजकुमार हिरानी की फिल्मों में अक्सर होते थे। वैसे तो उन्हें हिट मशीन माना जाता है लेकिन यहां थोड़ा और काम किया जा सकता था।

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मैं सत्यम सिंघई पिछले वर्तमान में दैनिक भास्कर में काम कर रहा हूं। फिल्मों और बिंज वॉचिंग के साथ मैं पिछले 1-2 सालों से सिनेमा पर लगातार लिख रहा हूं।

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