Murder Mubarak Hindi Review : एक मर्डर, एक जासूस और कई शक के घेरे में कई चेहरे और हर चेहरे की शक्ल में कुछ ना कुछ हिस्सा अपराधी के खूनी चेहरे का भी है।
यहां किसी मनोहर कहानी की गुंजाइश मत देखिए, ये प्लॉट है Netflix की हालिया रिलीज फिल्म Murder Mubarak का। फिल्म Anuja Chauhan की किताब Club You To Death पर बेस्ड है।
Murder Mubarak Hindi Review
क्या क्लब है…
फिल्म के लीड में कोई एक किरदार नहीं बल्कि रॉयल दिल्ली क्लब और उसके मेंबर्स हैं। कहानी शुरू होने से पहले क्लब और उसके मेंबर्स से इंट्रो करवाती है।
अंग्रेजों के जमाने के इस क्लब को देखकर ऐसा लगता है कि यहां से अंग्रेजी शासन और अंग्रेजी कल्चर लौटने में अभी लंबा समय बाकी है। क्लब का एक एक सदस्य दिखने में हाई प्रोफाइल लेकिन अंदर खाने की हकीकत कुछ और बयां करती है।
सो कॉल्ड हाई सोसायटी के इन चेहरों की सच्चाई तब बाहर आना शुरू होती है एक मर्डर के खूनी का पता लगाने एसीपी भवानी सिंह की एंट्री इस क्लब में होती है। चोर-पुलिस और पूछताछ, कहानी के अंत में जाकर खत्म होती है।
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डायरेक्टर का अंदाज अपना अपना
Murder Mubarak स्लो लेकिन थोड़े से अलग अंदाज में शुरू होती है। फिल्मों को अलग ढंग पेश करने वाले डायरेक्टर Homi Adajania यहां भी अलग तरीके के प्रयोग करते नजर आएं। जिसकी झलक किरदारों के इंट्रो से लेकर सारा की एंट्री तक नजर आती है।
फिल्मांकन का तरीका भी अलग है। फिल्म का यूनिवर्स हम फील देता है कि रॉयल दिल्ली क्लब में मिडिल क्लास की कोई जगह नहीं है। सिवाय दर्शकों के।
फिल्म में एक सीन है जहां दो किरदार आपस कपड़े-फाड़ लड़ाई कर रहे हैं। देखते ही देखते ये लड़ाई समूह समर बन जाती है। यहां कायदे से प्लॉट सीरियस होना चाहिए। लेकिन बढ़ती लड़ाई के साथ BGM की वॉल्यूम भी तेज होती है और लीड एक्ट्रेस Sara Ali Khan उसकी धुन पर थिरकती नजर आती हैं।
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पंच पॉइंट कहां है
हर एक निश्चित अंतराल के बाद आने वाली हार्ड लैंग्वेज, एडल्ट सीन्स बताते रहते हैं कि सीरीज मैच्योर ऑडियंस के लिए बनी हैं। फिल्म के डायलॉग इसका मजबूत पक्ष हैं। खासतौर पर Pankaj Tripathi के लिए बढ़िया डायलॉग लिखे गए हैं। बीच-बीच में आने वाले म्यूजिक भी फील गुड वाला है।
फिल्म का सबसे कमजोर पक्ष इसकी ढेर सारी कास्टिंग है। फिल्म सबसे इंट्रो करवाती है लेकिन टाइम नहीं दे पाती। इतने सारे चेहरों में से कातिल को पहचानने में ऑडियंस मिस्ट्री में कम कन्फ्यूजन में ज्यादा उलझती है।
किरदारों को कम करके थोड़ा क्रिस्प बनाया जाता तो मजा आता। फिल्म पंच हिटिंग सिचुएशन के लिए भी जूझती नजर आती है। मतलब खुलासों के बाद आप चौंकते नजर नहीं आते।
स्क्रीनप्ले वैसे तो ठीक है लेकिन क्लाइमेक्स से ठीक पहले प्लॉट को काफी ढीला छोड़ दिया गया है जो जमे जमाए बिल्ड अप को बिगाड़ देता है। थोड़ी सी लेंथ और छोटी हो सकती थी। सब प्लॉट्स अच्छे हैं लेकिन वैल्यू एड के लिहाज से कमतर हैं।
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एक्टिंग तो ठीक है
कास्ट बहुत सारी है लेकिन उसके बीच भी कुछ एक्टर अपना काम करके दिखा गए हैं। Pankaj Tripathi फिल्म का एक्स फैक्टर हैं। हालांकि फिल्म उनकी इस तरह की झलक हमने पहले भी देख रखी है लेकिन जितना देखो उतना कम लगता है। उनके साइड किक बने पदम यानी Priyank Tiwari ने भी बढ़िया काम किया है।
Vijay Verma लगातार ओटीटी पर कमाल करते नजर आ रहे हैं। पिछली कुछ फिल्मोग्राफी को देखकर तो ऐसे ही लगता है। Sara Ali Khan ने भी बढ़िया काम किया है। Brijendra Kala ने छोटे किरदार को इफेक्टिव बनाने का काम किया है।
इसके अलावा Aasim Gulati और Suhail Nayyar का काम भी ठीक है। Sanjay Kapoor को छोड़ दिया जाए तो Dimple kapadia,karishma Kapoor और Tisca Chopra जैसे पुराने चेहरे ज्यादा जरूरी और इफेक्टिव नहीं है।
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कास्टिंग के लिहाज से देखा जाए तो फिल्म खिचड़ी लग सकती है लेकिन इस खिचड़ी स्वाद वाले एलिमेंट्स हैं देखना तो चाहिए कुछ नहीं तो पंकज त्रिपाठी तो मिलेंगे ही।
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