Laapataa Ladies Hindi Review : ”अच्छे घर की बहू – बेटियां ” ये महज दो चार शब्द नहीं बल्कि फिल्म लापता लेडीज का सार भी हो सकते हैं। बशर्ते आप फिल्म उतनी महीन नजरों से देख सकें, जितने बारीक मुद्दे फिल्म में उठाए गए हैं।
Laapataa Ladies Hindi Review
दुलहिन बदली हो गई…
बचपन में जब हमें कहानी पढ़ाई जाती थी तो उसके आखिर में एक लाइन में सीख दी जाती थी। सीख, कड़वी और नीरस होती थी। जिसे पढ़ना हम कई बार टाल देते थे। बॉलीवुड ने इन सीखों को समझाने के लिए नया तरीका निकाला और इश्यू को कॉमेडी में लपेट कर दिखाया जाने लगा।
फिल्म लापता लेडीज भी इसी कलेवर की फिल्म है। फिल्म एक दूल्हे की कहानी है जो अपनी दुल्हन को लेकर शादी के बाद पहली बार घर वापस लौट रहा है। साल 2001 एक है शादियों का सीजन जोरों पर है।
यह भी पढ़ें – Dange Hindi Review : Gen-Z की स्टुडेंट पॉलिटिक्स फिल्म दंगे
जिस ट्रेन से अपना दूल्हा लौट रहा है वहां कुछ और दूल्हे भी अपनी दुल्हनों के साथ हैं। रास्तों में ट्रेन कन्फ्यूजन के ट्रैक पर आती है और दूल्हा, दूसरे की दुल्हन को लेकर ट्रेन से उतर जाता है।
घर पहुंचकर जब घूंघट उठाया जाता है तो तब तक प्लॉट बिल्ड हो चुका होता है। अब दूसरे की दुल्हन को सुरक्षित लौटाना और खुद की दुल्हन को वापस खोजना पूरी फिल्म में दूल्हे का टास्क है।
Laapataa Ladies Hindi Review
सादा सिंपल मगर टिपटॉप…
फिल्म की सबसे अच्छी बात है इसका एकदम सिंपल होना। फिल्म बिना किसी फिल्टर के एकदम आम जिंदगी पर्दे पर उतारती जाती है। लेंथ दो घंटे से 2-5 मिनट ही ज्यादा होगा।
थोड़ा सा क्लाइमेक्स के बाद और थोड़ा बिल्ड के दौरान का समय छोड़ दिया जाए तो फिल्म एक मिनट भी बिना किसी मतलब के खर्च नहीं करती। पेस एक दम टिपटॉप टाइप है।
यह भी पढ़ें – Fairy Folk Hindi Review : रिलेशनशिप के फेर को फंसाती फिल्म फेयरी फॉक
कहानी पर आ जाएं तो ये कुछ नया है कहा भी जा सकता है और नहीं भी। क्योंकि फिल्म में दिखाए गए टॉपिक दो दर्जन फिल्मों में दिखाए जा चुके हैं लेकिन जिस तरह दिखाए गए हैं वो काफी नया तरीका है।
Laapataa Ladies Hindi Review
मुद्दे कूट कूट कर भरे हैं
बॉलीवुड में सोशल इश्यूज पर बनने वाली फिल्म का स्टार्टर पैक है कि पहले हाफ समस्या के नाम पर कॉमेडी दिखाओ और दूसरे हाफ में भर दो आइडियलिज्म।
लेकिन लापता लेडीज ऐसा कुछ भी नहीं। एक साथ कई टॉपिक लेकर चलती है। अंगुलियों पर गिना जाए तो पर्दा प्रथा, दहेज, घरेलू हिंसा, वुमन एम्पॉवरमेंट, गर्ल्स हाई एजुकेशन जैसे टॉपिक याद आते हैं।
मूवी को फिल्माया बहुत बढ़िया गया है। क्लोजअप शॉट्स, लोकेशन बढ़िया हैं। गांव का सादापन, स्टेशन की हड़बड़ाहट, थाने का डर सब सामने दिखता है।
Laapataa Ladies कहना चाहती है कि महिलाएं घूंघट के पीछे मात्र फिल्म में गुम नहीं हुई बल्कि मर्दों के पीछे समाज में कहीं अपना वजूद खो बैठी हैं।
फिल्म के संवाद बहुत तीखे हैं। हर मिले हुए मौके को फिल्म तंज में तब्दील करती है। वो चाहे समाज पर हो या सिस्टम पर। नई कमीज से लेकर लोकतंत्र की तलाश तक।
फिल्म का म्यूजिक बढ़िया हैं। Kiran Rao ने डायरेक्शन में बेहतरीन वापसी की है। आखिर में तेजी से घेरता आइडियलिज्म नहीं होता तो और भी ठीक लगता।
Laapataa Ladies Hindi Review
युवा कलाकार, कमाल के एक्टर
एक्टिंग Sparsh Srivastav ने दीपक के किरदार को एक पल के लिए भी कमजोर नहीं होने देते। Nitanshi Goel के किरदार में भोलापन बेहतरीन है। Pratibha Ranta इस फिल्म की खोज हैं। अब देखना ये होगा कि बड़े फिल्ममेकर्स में उन्हें फिल्मों लेने का साहस है या नहीं।
यह भी पढ़ें – Kaagaz 2 Hindi Review : आखिरी फिल्म में सिस्टम से लड़ते दिखे हैं सतीश कौशिक
Ravi Kishan का देसी और अकड़ अंदाज कहानी को रीढ़ देने का काम करता है। Chhaya Kadam ने नाना पाटेकर सरीखा वजनी किरदार करती नजर आईं हैं। छोटू, दुबे जी, दीपू की मम्मी सब शानदार हैं।
चॉइस आपकी है…
कुल मिलाकर फिल्म की कहानी और इसके मैसेज एक थियेटर विजिट के हकदार हैं। खैर बड़े नामों पर फिल्म देखने वाले इस बात को क्या ही समझेंगे।