Vanangaan Hindi Review : एक्टर Arun Vijay और डायरेक्टर Bala की फिल्म वानांगन इसी हफ्ते थिएटर में रिलीज हुई है।
इस तरह की फिल्म सवाल उठाती है कि एक किसी की खासियत कभी-कभी उसकी कमजोरी भी बन जाती है। बाला ने अपनी फिल्मों में हमेशा सोसायटी के हाशिए पर खड़े लोगों को अपनी फिल्मों में दिखाया है।
लेकिन उनकी पिछली कुछ रिलीज फिल्मों और हालिया वानांगन ने इस बात को उनकी कमजोरी बना दिया है। ये बात उनकी फिल्मों की परफॉर्मेंस और क्रिटिक्स के रिएक्शन से लगाया जा सकता है।
Vanangaan Hindi Review : मूक-बधिर के किरदार में अरुण विजय
कहानी शुरू होती है कन्याकुमारी से, जहां कोटी (Arun Vijay) और देवी (Ridha) रहते हैं। कोटी सुन और बोल नहीं सकता, वह गांव में छोटे-मोटे काम करता है। वहीं देवी टैटू आर्टिस्ट है।
उनका छोटा सा परिवार, एक चर्च के पादरी (bal sivaji) और टीना (Roshni Prakash), जो टूर गाइड है, जैसे लोगों से घिरा हुआ है।
मूक-बधिर होने बावजूद कोटी अन्याय के खिलाफ हमेशा लड़ता है। कमजोर लोग परेशान करने वाले लोगों के खिलाफ खड़ा नजर आता है। इसी बीच उसे एक अनाथालय में गार्ड की नौकरी मिल जाती है।
एक दिन उसे पता चलता है कि अनाथालय में काम करने वाले कुछ लोग वहां की ब्लाइंड लड़कियों को सेक्शुअली हैरेस कर रहे हैं। इसके बाद फिल्म का और कोटी का टारगेट इनको सबक सिखाने का बन जाता है।
Vanangaan Hindi Review : डायरेक्शन का घिसा-पिटा पैटर्न
डायरेक्टर बाला की फिल्मों पर नजर डाली जाए तो उनकी कहानियों में अक्सर हीरों महिलाओं का रखवाला बना नजर आता है। यहां भी ऐसा ही है। लेकिन कई मायनों में इस तरह का स्टोरीलाइन पुराना और रिपीटेटिव नजर आ रहा है।
फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका वायलेंस को फैंटेसाइज करना और कॉमिक दिखाना लगती है। फिल्म में टीना और कोटी का लव एंगल क्रिएट किया गया है। फिल्म के एक सीन में कोटी उसे मारता है, ऑडियंस से इसे मजाक में लेने की उम्मीद की जाती है।
ऐसा लगता है कि Bala ने हिंसा को एक मजाक के रूप में दिखाने की कोशिश की है, जो समस्या खड़ी कर देता है। यहां एक गंभीर सवाल यह उठता है कि क्या किसी पढ़ी-लिखी, समझदार लड़की कोटी के इस व्यवहार को माफ कर सकती है?
Vanangaan Hindi Review : मजबूत प्लॉट और विलेन की कमी
फिल्म की समस्या यह भी है कि इसमें कोई मजबूत विलेन नहीं है। एक साधारण नायक आसानी से बुरे लोगों को हराता है, जो दर्शकों के लिए यह कोई रोमांचक अनुभव नहीं बन पाता।
डायरेक्टर ने फिल्म में महिलाओं की दुर्दशा को केवल सिम्पैथी बटोरने के लिए यूज किया है। फिल्म के कुछ सीन में यह साफ देखा जा सकता है। एक सीन में ब्लाइंड महिलाओं के साथ हिंसा होती है। इसे बड़े ही असंवेदनशील तरीके से प्रेजेंट किया गया है। जो ऑडियंस को असहज और परेशान कर देता है। (Vanangaan Hindi Review)
Vanangaan Hindi Review : एक्टर्स अपना काम सही करते हैं
फिल्म में आइडल एंड की तरफ बढ़ते हुए एक ट्विस्ट आता है, जो पहले से काफी प्रिडिक्टेबल होता है। Mysskin का कैमियो भी फिल्म के कमजोर स्क्रीनप्ले के बीच खो जाता है और फिल्म का इमोशनल इफेक्ट जल्द ही खत्म हो जाता है।
अरुण विजय ने एक मूक-बधिर कैरेक्टर में पूरी मेहनत की है। रिधा और रोशनी प्रकाश ने भी अपने-अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है। अरुण का अभिनय और अदालत की प्रोसिडिंग्स फिल्म को दिलचस्प बनाती है। हालांकि, जिस तरह से फिल्म का अंत एक कैरेक्टर की मौत के साथ किया, वह एक बार फिर फिल्म के इरादों पर सवाल उठाता है। (Vanangaan Hindi Review)
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