Thandel Hindi Review : नागा चैतन्य और साई पल्लवी की जोड़ी एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापस आई है फिल्म ‘थानडेल’ के साथ। निर्देशक चंदू मोंडेती ने इस बार एक मछुआरे की प्रेम कहानी को दर्शकों के सामने पेश किया है।
कहानी एक मछुआरे राजू (नागा चैतन्य) की है, जो आंध्र प्रदेश के एक तटीय गांव में रहता है। वह बुज्जी थल्ली (साई पल्लवी) से प्यार करता है। कहानी में मोड़ तब आता है जब राजू और उसके साथी मछुआरे गुजरात से मछली पकड़ने जाते हैं और गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद पाकिस्तानी तटरक्षक बल उन्हें पकड़ लेता है।
Thandel Hindi Review : पहला हाफ ठीक-ठाक, दूसरा कमजोर
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका पहला हिस्सा है, जहां राजू और बुज्जी की प्रेम कहानी को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। देवी श्री प्रसाद का संगीत, खासकर ‘बुज्जी थल्ली’ गाना फिल्म की कहानी को और भी आकर्षक बनाता है। शामदत की सिनेमैटोग्राफी ने समुद्र और तटीय जीवन को बखूबी कैमरे में कैद किया है।
हालांकि, फिल्म का दूसरा हिस्सा उतना प्रभावशाली नहीं है। पाकिस्तानी जेल के दृश्यों में कई कमियां हैं। देशभक्ति के तत्वों को जरूरत से ज्यादा दिखाया गया है। सुषमा स्वराज की बेटी की उपकथा और साई पल्लवी का गुजरात में मौन विरोध जैसे दृश्य फिल्म की कहानी को कमजोर करते हैं।
Thandel Hindi Review : नागा चैतन्य ने मेहनत की है
नागा चैतन्य ने एक मछुआरे के किरदार को जीवंत बनाने के लिए काफी मेहनत की है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी से साफ पता चलता है कि उन्होंने इस रोल के लिए गहरी तैयारी की है। साई पल्लवी ने भी बुज्जी के किरदार को अपनी अदाकारी से जीवंत कर दिया है। दोनों की केमिस्ट्री फिल्म का एक मजबूत पक्ष है।
फिल्म में करुणाकरण जैसे सहायक कलाकारों ने भी शानदार काम किया है। प्रोडक्शन की बात करें तो गीता आर्ट्स ने फिल्म को बेहद खूबसूरत लुक दिया है। एडिटिंग का काम पहले हिस्से में बेहतरीन है, हालांकि दूसरे हिस्से में थोड़ा धीमा हो जाता है।
Thandel Hindi Review : जरूरी विषयों को छूती है फिल्म
फिल्म एक महत्वपूर्ण विषय को छूती है – भारतीय मछुआरों की समस्याएं और उनका पाकिस्तान की जेलों में बंद होना। हालांकि इस मुद्दे को जितनी गंभीरता से दिखाया जा सकता था, उतना नहीं दिखाया गया। फिर भी, फिल्म इस विषय पर लोगों का ध्यान खींचने में सफल रही है।
निर्देशक चंदू मोंडेती ने पहले हिस्से में मछुआरों के जीवन, उनकी परेशानियों और प्यार की कहानी को बखूबी दिखाया है। समुद्र से जुड़े दृश्यों को बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया है।
Thandel Hindi Review : अलग ढंग लव स्टोरी कह सकते हैं
कुल मिलाकर ‘थानडेल’ एक मिश्रित फिल्म है। इसका पहला हिस्सा दर्शकों को बांधे रखता है, लेकिन दूसरा हिस्सा उतना प्रभावशाली नहीं है। फिर भी, नागा चैतन्य और साई पल्लवी की शानदार अदाकारी, देवी श्री प्रसाद का संगीत और खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी फिल्म को देखने लायक बनाते हैं।
अगर आप एक अलग तरह की प्रेम कहानी देखना चाहते हैं, जो मछुआरों की जिंदगी और उनके संघर्षों को दिखाती हो, तो यह फिल्म आपको पसंद आ सकती है।
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