Squid Game 2 Hindi Review : सितंबर 2021 में एक कोरियाई टीवी सीरीज आई जिसका नाम था स्क्विड गेम्स। फिल्म का कॉन्सेप्ट लोगों के लिए चौंकाने वाला था। ऐसे में देखते ही देखते सीरीज ग्लोबली काफी पॉपुलर रही।
फिल्म को 265 मिलियन से ज्यादा लोगों ने नेटफ्लिक्स पर देखा। जो सबसे ज्यादा बार देखे जाने वाला नेटफ्लिक्स शो है।
अब इस शो का दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर हो चुका है। तो आइए जानते हैं कि फिल्म का दूसरा सीजन पहले की सक्सेस को रिपीट करता है या नहीं।
Squid Game 2 Hindi Review : कहानी आगे बढ़ती है
पहले सीजन में, गी-हुन नामक एक जुआरी को 455 अन्य लोगों के साथ एक रहस्यमयी द्वीप पर ले जाया जाता है, जहां उन्हें बच्चों के खेलों के आधार पर घातक खेल खेलने के लिए मजबूर किया जाता है। जो हारता है, उसे मार दिया जाता है। गी-हुन इस खेल को जीत जाता है लेकिन वह इस खेल के पीछे के लोगों का पता लगाने का फैसला करता है।
दूसरे सीजन में, गी-हुन इस खेल के रहस्यों को उजागर करने के लिए वापस लौटता है। वह अन्य प्रतियोगियों को बचाने की कोशिश करता है और खेल के पीछे के मास्टरमाइंड को ढूंढता है।
Squid Game 2 Hindi Review : ये तो हमारी USP है
पहले सीजन की तरह दूसरे सीजन में भी कई सारे ट्विस्ट मौजूद है। हालांकि पहले सीजन की तरह शो फास्ट पेस्ड नहीं है जबकि इस बार दो एपिसोड कम बनाए गए हैं।
राइटर और डायरेक्टर Hwang Dong-hyuk ने सीरीज को धड़ाधड़ एक्शन वाला बनाने की बजाय इसे सोचने पर मजबूर कर देने वाला बनाने की कोशिश की है। जो शो की USP भी है।
यही वजह है कि सीरीज इतने वायलेंट और खून खराबे वाले सीन्स के साथ-साथ ह्यूमन आस्पेक्ट्स को दरकिनार नहीं करती। बल्कि हर उस मोमेंट पर उसे परखना चाहती है जहां तक पॉसिबल हो सकता है।
Squid Game 2 Hindi Review : वायलेंस लेकिन खोखला नहीं
दूसरी तरफ सीरीज में हिंसा हाई लेवल पर है, लेकिन यह सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं है। यह दक्षिण कोरिया में बढ़ती असमानता और पूंजीवाद के दुष्प्रभावों पर एक व्यंग्य है। इसके अलावा सीरीज समाज में मौजूद असमानता, ग्रीड, कॉम्पिटिशन जैसे मुद्दों पर सवाल उठाती है।
किरदारों की बात करें तो गी-हुन एक मजबूत और डायमेन्शनल कैरेक्टर है। वह एक नायक और एक खलनायक दोनों है। नए कैरेक्टर्स को भी अच्छी तरह से डेवलप किया गया है।
Squid Game 2 Hindi Review : टेक्निकली स्ट्रॉन्ग है सीरीज
सीरीज का विजुअल बहुत ही आकर्षक है। रंगीन सेट, मास्क वाले गार्ड और हरे ट्रैक सूट वाले प्रतियोगी इस सीरीज को एक अलग पहचान देते हैं। शो में टेक्निकली गलतियां निकालने की गुंजाइश भी कम है।
ऑडियंस के लिहाज से देखा जाए तो शो पहले सीजन के मुकाबला करने में कई मौकों पर चूक जाता है। लेकिन खास बात ये है कि मेकर्स कहीं भी इस सीजन की तुलना पहले सीजन से करने की कोशिश नहीं करते। क्योंकि जो एक्सपीरियंस पहले किया जा चुका है उसे मैच करना काफी मुश्किल है।
ये आर्टिकल्स भी पढ़ें…
Baby John Hindi Review : रीमेक वाले जाल में फंस गई वरुण धवन की फिल्म, नहीं चला एटली का जादू
फिल्म की कहानी बेबी जॉन से स्टार्ट होती है। जो अपनी बेटी खुशी के साथ केरल में रहता है। इसी बीच एक दिन एक पुलिस वाला उसे सत्या कहकर बुलाता है और यहीं से बैक स्टोरी का खुलासा होता है।
कहानी 6 साल पहले पहुंचती है जहां हमारी मुलाकात एसीपी सत्या वर्मा से होती है। यहां एसीपी के पास एक केस आता है जिसमें पॉवरफुल मैन नानाजी का बेटा एक लड़की का रेप करके हत्या कर देता है। आगे क्या होगा और सत्या, बेबी जॉन कैसे बना यही फिल्म की कहानी है। पूरा रिव्यू पढ़ें…
Outhouse Hindi Review : दुनिया से आउट हाउस हो चुके लोगों की कहानी, अच्छी एक्टिंग के लिए देखें
कहानी आदीमा यानी शर्मिला टैगोर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक प्यार करने वाली दादी है जो अपने पोते नील (Zihan Hoder) की देखभाल करती है, जबकि उसके माता-पिता दूर रहते हैं।
उनका शांत जीवन तब बाधित होता है जब नील का प्यारा कुत्ता, पाब्लो, गायब हो जाता है और उनके पड़ोसी नाना (मोहन आगाशे) के पास शरण लेता है, जो एक छोटे से अपार्टमेंट में रहने वाला अकेले रहने वाले बुजुर्ग हैं।
आदीमा और नील पाब्लो को वापस लाने के लिए निकल पड़ते हैं, जो न केवल उनके जीवन बल्कि नाना के जीवन को भी बदल देता है। पूरा रिव्यू पढ़ें…
Vanvaas Hindi Review : पुरानी कहानी के साथ स्लो स्क्रीनप्ले, इमोशन से कमी से जूझती फिल्म
नाना पाटेकर एक ऐसे पिता की भूमिका में हैं जिनकी पत्नी का निधन हो गया है और वे डिमेंशिया से पीड़ित हैं। उनके बच्चे उन्हें वाराणसी में छोड़ देते हैं और उन्हें मृत घोषित कर देते हैं ताकि उनकी संपत्ति हड़प सकें।
बनारस में उन्हें वीरू यानी उत्कर्ष शर्मा मिलता है जो न सिर्फ उनकी देखभाल करता है बल्कि उनके बच्चों से मिलवाने में भी मदद करता है। पूरा रिव्यू पढ़ें…