Sookshmadarshini Hindi Review : मलयालम सिनेमा की तरफ से 2024 की सबसे अच्छी फिल्मों में से एक है सूक्ष्मदर्शिनी। ये हम नहीं कई क्रिटिक्स और दर्शक कह रहे हैं।
फिल्मों बेस्ट कहने के सबसे बड़े कारणों में फिल्म की राइटिंग शामिल है, जो इसे शुरू से लेकर आखिर तक बेहतर रखने में मदद करती है। Jithin MC के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में Nazriya Nazim और Basil Joseph लीड रोल में नजर आ रहे हैं।
Sookshmadarshini Hindi Review : आस-पास की आंटी वाली कहानी
Sookshmadarshini की कहानी की बात करें तो फिल्म प्रियदर्शिनी यानी (नाज़रिया नाज़िम), जो एक गृहिणी हैं, एंटनी (Deepak Parambol) से शादीशुदा हैं और एक बेटी कनी की मां है।
ये परिवार कोट्टायम के पास एक छोटे से शहर में रहता है। प्रियदर्शिनी अपने आसपास की हर चीज के बारे में जानने की इच्छा रखती है। इसके अलावा वह एक नौकरी की तलाश में भी है।
वह एक व्हाट्सएप ग्रुप में भी जुड़ी हुई है, जहां लोकल लेडीज एक-दूसरे के डेली लाइफ और घटनाओं के बारे में अपडेट करती हैं, ताकि वह बिजी रह सकें।
इसी दौरान प्रियदर्शिनी के पड़ोस में मैन्युएल (Basil Joseph) अपनी बूढ़ी मां के साथ अपने पुश्तैनी घर में वापस आ जाता है। प्रियदर्शिनी उसके घर में भी ताक-झांक शुरू कर देती है।
पहले कुछ दिन तक तो सब कुछ सही रहता है लेकिन एक दिन अचानक मैन्युएल की मां गायब हो जाती है। मैन्युएल की माँ के साथ क्या हुआ और उसके गायब होने का क्या राज हैं? प्रियदर्शिनी अब क्या करेगी? (Sookshmadarshini Hindi Review)
Sookshmadarshini Hindi Review : फिल्म कई मायनों में परफेक्ट
Sookshmadarshini के स्क्रीनप्ले को नियर परफेक्ट कहा जा सकता है। फिल्म की कहानी में दर्शक पूरी तरह से डूबने लगते हैं। इसी बीच एक ट्विस्ट आता है और हम और रोमाचिंत हो उठते हैं।
फिल्म का एक बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि जब हमें कहानी प्रिडिक्टेबल लगने लगती है तभी राइटर्स हमें एक और नया ट्विस्ट देकर सरप्राइज कर देते हैं। हालांकि कुछ चीजें खटकती हैं लेकिन क्लाइमेक्स तक उन्हें भी फिट कर दिया जाता है।
डायरेक्टर और राइटर पूरी तरह से लीड कैरेक्टर्स पर ही फोकस करते हैं। वेबजह के सब प्लॉट्स और रनटाइम बढ़ाने वाले किरदारों को कहानी में डालने से बचते हैं।
Sookshmadarshini Hindi Review : आम जीवन को करीब से जोड़ती है
प्रियदर्शिनी के मोहल्ले वालों का रहने का तरीका और वहां के लोग किस तरह सोचते हैं, इसे भी खूबसूरती से उतारा गया है।
उदाहरण के लिए उस जगह के घरों की दीवारें इतनी छोटी होती हैं कि आप आसानी से अपने पड़ोसी के घर में क्या हो रहा है,यह देख सकते हैं। महिलाओं का व्हाट्सएप ग्रुप जो आमतौर पर गपशप के लिए इस्तेमाल होता है। यह भी नॉर्मल लोगों की लाइफ को दिखाने का बढ़िया तरीका है।
Sookshmadarshini Hindi Review : एक्टिंग, कास्टिंग और टेक्निकल पार्ट सब टॉप पर
Nazriya Nazim और Basil Joseph शानदार एक्टिंग करते हैं। बेसिल ने एक ग्रे शेड किरदार को बढ़िया ढंग से निभाया है। वहीं नजरिया एक खुशमिजाज महिला है। उन्होंने मलयालम सिनेमा में चार साल बाद वापसी की है और इस फिल्म को उन्होंने एकदम सही स्क्रिप्ट चुनी है।
सपोर्टिंग एक्टर्स की परफॉर्मेंस जितनी बेहतर है उतना बेहतर उनकी सिलेक्शन भी है। ऐसे में कास्टिंग टीम को नंबर देना भी बनता है। (Sookshmadarshini Hindi Review)
Christo Xavier का संगीत भी एक प्लस प्वाइंट है, जो सस्पेंस और ड्रामा को और बढ़ाता है। Chaman Chakko की एडिटिंग और Sharan Velayudhan Nair की सिनेमाटोग्राफी की भी तारीफ करनी चाहिए – शॉट्स और इंटरकट्स का इस्तेमाल टेंशन को और इफेक्टिव बनाता है।
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शो की कहानी तन्वी से शुरू होती है, जो पेशे से एक टूर गाइड है, लेकिन अपने सपने के तौर पर एक होटल खोलना चाहती है और खुद से कामयाब होना चाहती है।
इसी सपने की खोज में उसकी मुलाकात आकाश से होती है। जो आगरा में ही एक होटल का मालिक है। परिस्थितियां दोनों को मिलाती हैं और देखते ही देखते दोनों पार्टनर बन जाते हैं।
दूसरी तरफ आकाश इस पार्टनरशिप के रिश्ते में प्यार की खोज करने लगता है। यहां तन्वी अपने सपनों का हवाला देते हुए आकाश के प्रस्ताव को ठुकरा देती है।
इसी बीच कहानी में आकाश की दोस्त मेघा की एंट्री होती है। यहां से आकाश और मेघा की बीच नजदीकी बढ़ती है। इस रिश्ते को देखकर तन्वी को आकाश की फीलिंग्स का मतलब समझ आता है। इसी इमोशन, लव और रिलेशन का हेर-फेर शो के प्लॉट को तैयार करता है। पूरा आर्टिकल पढ़ें…
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कहानी की शुरुआत विवेक गोपीनाथ (आसिफ अली) से होती है, जो एक केरल पुलिस CI है, जिसे ड्यूटी के दौरान ऑनलाइन रमी खेलने के कारण सस्पेंड कर दिया जाता है। सस्पेंशन के बाद, उसे मलक्कापारा के एक ग्रामीण पुलिस स्टेशन में पोस्ट किया जाता है।
जब वह स्टेशन जॉइन करता है, तो एक आत्महत्या का मामला सामने आता है। विवेक इस मामले की तह तक जाने का निर्णय लेता है और जल्दी ही उसे यह महसूस होता है कि इस आत्महत्या का संबंध 1985 में दर्ज एक लापता मामले से हो सकता है।
फिल्म में एक और दिलचस्प एंगल जुड़ता है, जो 1985 की फिल्म Kathodu Kathoram से इंस्पायर है। हालांकि, फिल्म का प्लॉट इस संबंध में कुछ नया नहीं पेश करती है। यहां तक कि जब अंत में अपराधी का खुलासा होता है, तो दर्शक पहले से ही अनुमान लगा सकते थे कि क्या होने वाला है। पूरा रिव्यू पढ़ें…