Paatal Lok 2 Hindi Review : रेस के घोड़े को पता होता है कि जीतने के बाद मेडल उसे नहीं मिलने वाला।
डायलॉग बता रहा है, लगभग हर बार ऐसा होता कि जमीन पर मेहनत कोई और करता है और फोटो कुर्सी पर बैठा कोई खिंचा जाता है। जमीन पर लड़ाई लड़ने वाले के हिस्से में आते है महज बिस्कुट।
बात अमेजन प्राइम और जयदीप अहलावत की सीरीज पाताल लोक के दूसरे सीजन की हो रही है। जो पांच साल बाद नए सीजन के साथ लौट आई है।
Paatal Lok 2 Hindi Review : कहानी को नागालैंड की तरफ लेकर चलिए
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक मर्डर से। मरने वाला शख्स नागालैंड का एक नेता है, जो उस डेलिगेशन का हिस्सा है, जो भारत सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंचा है।
मर्डर की जांच मिलती है अब IPS बन चुके इमरान अंसारी को। वहीं दूसरी तरफ हाथी राम चौधरी के पास एक महिला आई जिसका पति कुछ दिनों से गायब है।
इन्वेस्टिगेशन शुरू होती है और पहले एपिसोड के आखिर तक दोनों केस के तार आपस में जुड़ जाते हैं। इसके बाद हाथीराम चौधरी अपने पुरानी जूनियर और नए सीनियर के साथ नगालैंड पहुंच जाता है। जहां कुछ ऐसे राज खुलते हैं जो पाताल लोक को वाकई पाताल लोक बनाते हैं।
Paatal Lok 2 Hindi Review : नागालैंड में जाकर कहानी फंसती नहीं है
सीरीज कैरेक्टर की मौजूदा स्थिति को दिखाने में ज्यादा समय खराब नहीं करती। सीधे कहानी पर आती और बीच-बीच में अपना टाइम लेकर इस बिल्ड अप को पूरा कर लेती है। हालांकि इमोशनल सीक्वेंस में पेस काफी स्लो पड़ जाता है।
सीरीज पिछली बार भी दिल्ली में अच्छी तरह से सेट थी। लेकिन इस बार नागालैंड जाने की तैयारी थी। पिछली किसी सीरीज को डिफरेंट भाषा की जगह में सेट करना, काफी कठिन काम है, लेकिन डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले और कैरेक्टर डिजाइन ने इस काम को काफी अच्छे ढंग से स्क्रीन पर उतारा है।
नागालैंड की लोकेशन और लोकल एरिया और कास्ट को बेहतर ढंग से यूज और प्रेजेंट किया गया था। इसके अलावा Prateek Pachori के कैरेक्टर को जिस ढंग से रखा गया है, वो भी सूझबूझ भरा है।
Paatal Lok 2 Hindi Review : प्लॉट-स्क्रीनप्ले की सिलाई मजबूत है
सीरीज का प्लॉट मजबूत है। सात एपिसोड तक लोग बंधे रहते हैं। एक के बाद एक आने वाली गुत्थियां लोगों को उलझाती नहीं है बल्कि इंटरेस्ट बढ़ाती हैं।
फिल्मांकन में पूरे नंबर मिलेंगे। चेजिंग सीक्वेंस और एक्शन कोरियोग्राफी काम करती है। म्यूजिक भी ठीक-ठाक है। लेकिन खून से सराबोर होकर अगले सीन में हाथीराम का फिर उठ खड़ा थोड़ा सा अटपटा लगता है।
Paatal Lok 2 Hindi Review : यहां कमी रह गयी थोड़ी सी
कुछ सब प्लॉट्स मार दिए गए हैं। ड्रग्स और क्लब के ऑनर को बढ़िया सजाया गया था, लेकिन अंत में उन्हें भुनाया नहीं गया। पासवान का किरदार भी काफी हद कहानी से दूर रहता है। रोज का किरदार कभी भी पूरे तरीके से फटता नहीं है।
वहीं सात एपिसोड के इंतजार के बाद जिस औचक ट्विस्ट की हम उम्मीद करते हैं, वो कहीं भी निकल सामने नहीं आता। टुकड़े में खुलने वाला रहस्य मजा खराब करती है, और छह घंटे तक अगर पूरे होश में सीरीज देखेंगे तो काफी हद तक चीजों का अनुमान भी लगा सकते हैं।
Paatal Lok 2 Hindi Review : कास्टिंग और कैरेक्टर सीरीज का प्लस है
किरदारों की मौत को दिखाने के साहस के लिए मेकर्स की दाद देनी होगी। खासकर ऐसे कैरेक्टर को निपटा देना जो पॉपुलर और लीड हो। ये रिस्क था और इसे लेकर बढ़िया ढंग से एग्जीक्यूट भी किया गया।
एक्टिंग से पहले बात कास्टिंग की। फिल्म में मुख्य कास्ट में बड़ा एडिशन Tillotama Shome का है। वहीं सपोर्टिंग कास्ट में डेनियल के किरदार निभाने वाले एक्टर Prashant Tamang हैं, जो इंडियन आइडल 3 के विनर रह चुके हैं।
वहीं अंकल केन का किरदार फिल्ममेकर Jhanu Barua ने, ईसाक का किरदार फिल्ममेकर Bendang Walling और तिलोत्तमा के बॉस का किरदार एक फिल्ममेकर Kenny Basumatary ने निभाया है। इसके अलावा फिल्म Kill के डायरेक्टर Nagesh Kukunoor ने भी कपिल रेड्डी के किरदार में हैं। कास्टिंग के अलावा इनका काम भी बेहतरीन है।
Paatal Lok 2 Hindi Review : जयदीप तो जान हैं
अब लीड पर आएंगे तो Jaideep Ahlawat पर रुक जाएंगे। हाथीराम चौधरी के किरदार में उन्होंने जमीन से जुड़ाव बरकरार रखा है। वे नैचुरल हैं, डायलॉग डिलीवरी से लेकर चेंजिग सीक्वेंस तक, थप्पड़ मारने से लेकर गाली देने तक।
Ishwak Singh ने अपने किरदार से इमोशन और सॉफ्ट एंगल को पकड़ा है और सीधा ऑडियंस से कनेक्ट करके रखा है। Tillotama Shome का किरदार भी पेस बनाकर रखता है। Pratik Pachori आउट ऑफ द बॉक्स निकलकर आते हैं। रोज के किरदार में Merenla Imsong का काम भी अच्छा है। इसके अलावा सपोर्टिंग कास्ट में कुछ जाने-माने चेहरे अच्छा काम करके जाते हैं।
कुल मिलाकर पाताल लोक अपने दूसरे सीजन की उम्मीद पर काफी हद तक खरी उतरती है। इसे देखने में थ्रिल का अनुभव होता है और सस्पेंस बना रहता है।
ये आर्टिकल्स भी पढ़ें…
Punjab 95 Real Story : सेंसर बोर्ड ने नाम बदलने को कहा;120 कट लगाए, भारत में क्यों रिलीज नहीं हो रही पंजाब 95
फिल्म पंजाब 95 की कहानी जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर बेस्ड है। जो पंजाब के ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट थे। 1970 के दशक में पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट शुरू हुआ। इंदिरा गांधी की हत्या और सिख दंगों के बाद पंजाब में इस मूवमेंट को सपोर्ट भी मिलने लगा।
इस दौरान पुलिस ने 1984 से 1995 तक केवल शक के आधार पर पंजाब पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया और एनकाउंटर भी किए। इतना ही नहीं इनका अंतिम संस्कार भी लोगों की नजरों से बचा कर किया। पूरा आर्टिकल पढ़ें…
Azaad Hindi Review : दो एक्टर्स के अलावा कुछ नया पेश नहीं करती फिल्म, कहानी पुरानी है
फिल्म की शुरुआत गोविंद (आमान) के डाकू विक्रम सिंह (Ajay Devgn) के काले घोड़े आज़ाद के लिए अट्रैक्शन से होती है। यह घोड़ा अपने मालिक के अलावा किसी और की परवाह नहीं करता।
गोविंद की भिड़ंत जमींदार राय बहादुर (Piyush Mishra) की बेटी जानकी (राशा) से होती है। वहीं, दूसरी ओर, एक समानांतर कहानी में जानकी का भाई तेज बहादुर (Mohit Malik) और केसर (Diana Penty) की कहानी चलती है। स्वतंत्रता-पूर्व भारत की पृष्ठभूमि में सभी किरदारों की कहानियां कैसे आपस में जुड़ती हैं, यही फिल्म की मुख्य कथा है। पूरा रिव्यू पढ़ें…
Emergency Hindi Review : एक तरफ झुकने के चक्कर में बर्बाद हो गया कंगना का ड्रीम प्रोजेक्ट
फिल्म की शुरुआत एक युवा इंदिरा गांधी के अपने दादा से राजनीति की ABCD सीख रही होती है। इसी बीच एक झलक देश की आजादी की दिखाई जाती है। फिर कहानी 1962 के इंडो-चाइना वॉर पर पहुंचती है,जहां इंदिरा की भूमिका को हाइलाइट किया जाता है। इसके बाद पिता नेहरू की मौत, शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने और आखिर में इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने के सीन सामने आते हैं। ।
इसके बाद अगले दो घंटे में 1971 के भारत-पाक युद्ध, बांग्लादेश की स्वतंत्रता, भारत-सोवियत संधि, शिमला समझौता, पोखरण परमाणु परीक्षण, और विपक्ष के विरोध के कारण इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम दिखाए गए हैं।
इसके चलते आपातकाल लागू करने का उनका फैसला भी सामने आता है। हालांकि, इस दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, मीडिया पर पाबंदी, और जबरन नसबंदी जैसे मुद्दों को केवल सतही तौर पर दिखाया गया है। पूरा रिव्यू पढ़ें…