Murphy Hindi Review : कहानी डेविड यानी Prabhu Mundkur से शुरू होती है, जो कॉलेज स्टुडेंट है और अपने दादा के पुराने मर्फी रेडियो को सबसे बचकर ठीक करने की कोशिश कर रहा है। जबकि उसे इस रेडियो को छूने तक की अनुमति नहीं है।
एक दिन अचानक तूफान में भीगने के बाद रेडियो काम करना बंद कर देता है, लेकिन यह डेविड और जन्नानी (Roshni Prakash) के बीच एक अजीब तरह के क्रॉस कनेक्शन के लिए रास्ता बनाता है, जो उसी के कॉलेज की स्टूडेंट है।
Murphy Hindi Review
दोनों के तार अतीत से जुड़ते हैं और प्रेजेंट में भी दोनों के बीच रिश्ता बनने लगता है। धीरे-धीरे उन्हें पास्ट के अपने गहरे रिलेशनशिप के बारे में पता लगता है। उनका यही रिश्ता धीरे-धीरे उनके प्रेजेंट को प्रभावित करने लगता है।
डायरेक्टर BS Pradeep Varma की Murphy टाइम ट्रेवल वाली तकनीक में न उलझकर लव और इमोशन पर रिलाय करती है। फिल्म का मुख्य प्लॉट इस बात पर डिपेंड करता है कि डेविड यदि अपने मरे हुए पिता को अतीत में जाकर बचाता है तो उसे अपने प्यार को खोना होगा और अगर प्यार को बचाता है तो पिता नहीं मिलेंगे।
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फिल्म की कहानी में क्रिस्प है। आगे क्या होगा दर्शक इसके लिए उतावले हो सकते हैं। लेकिन कैरेक्टर बिल्डिंग में कहानी थोड़ा सा ज्यादा समय ले लेती है। वहीं रेडियो वाला कनेक्शन भी थोड़ा सा कम रिलेवेंट हो जाता है।
सिनेमैटोग्राफी फिल्म के लिए कारगर साबित हुई है, जो एक दूसरी दुनिया जैसा अनुभव करवाने में कामयाब रही है। हाई ऑक्टेन सीक्वेंस और दादाजी रिचर्ड का किरदार इसका बढ़िया उदाहरण हैं। फिल्म का म्यूजिक भी अच्छा साथ देता है।
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Murphy एक अच्छी तरह से तैयार की गई कहानी है जो युवा दिल के दर्द और जो टूट गया है उसे ठीक करने की लालसा को पकड़ती है। पात्रों की समृद्ध टेपेस्ट्री और अतीत और वर्तमान के कुशल मिश्रण के साथ, कहानी दर्शकों को अपने स्वयं के जीवन और उन अदृश्य धागों पर विचार करने के लिए आमंत्रित करती है जो उन्हें उन लोगों से जोड़ते हैं जिन्हें उन्होंने प्यार किया और खो दिया।
मार्मिक अंत हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में वापस जा सकते हैं और अपने जीवन के पाठ्यक्रम को बदल सकते हैं या हमें बस अपने द्वारा चुने गए विकल्पों के साथ जीना सीखना चाहिए।
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लेखक-निर्देशक बीएस प्रदीप वर्मा ने इसमें प्रभु मूंदकुर के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण तत्वों को शामिल किया है, जो न केवल मुख्य भूमिका में हैं, बल्कि पटकथा, संवाद और गीत के बोल भी लिखते हैं।
17 फिल्मों में काम कर चुके प्रभु को आखिरकार बड़े पैमाने पर अभिनय करने का मौका मिला है, उन्होंने एक बेहतरीन अभिनय किया है जो भावनाओं के व्यापक स्पेक्ट्रम को बखूबी दर्शाता है।
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