Mrs Hindi Review : घर ही वह जगह है जहाँ दुख बसता है, यह बात Mrs की नायिका के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है। यह फिल्म The Great Indian Kitchen की हिंदी रीमेक है।
Sanya Malhotra फिल्म में पूरी तरह अपने किरदार में रच-बस जाती हैं। डायरेक्टर Aarti Kadam ने लिमिटेड रिसॉर्स का बेहतरीन इस्तेमाल किया है, जिससे यह फिल्म एक इफेक्टिव एक्पीरियंस बन जाती है।
Mrs Hindi Review : फिल्म को क्या अलग बनाता है
“मिसेज” ओरिजनल फिल्म से कुछ डिफरेंट है। उदाहरण के लिए, फिल्म का किचन मलयालम संस्करण की तरह गंदा और हमेशा गीला नहीं है। यह छोटा जरूर है, लेकिन खुला और थोड़ा उजला है। फिर भी, उस महिला की स्थिति जो इस रसोई में बंधी हुई है, कम दयनीय नहीं लगती।
रसोई का सिंक लीक करता रहता है, और कई दिनों तक कोई इसे ठीक नहीं करता। नायिका बार-बार अपने डॉक्टर पति से प्लंबर बुलाने के लिए कहती है, लेकिन उसे अनसुना कर दिया जाता है। यह सिर्फ एक कार्यात्मक समस्या नहीं है, बल्कि एक टूटती हुई शादी का संकेत भी है।
सिंक में इकट्ठा होता गंदा पानी घरेलू कामों के उस अंतहीन चक्र का प्रतीक है जिसे पितृसत्ता महिलाओं पर थोपती है।
Mrs Hindi Review : ओरिजनल से कितनी अलग है
आरती कदम की यह फिल्म कहीं-कहीं थोड़ी सजावटी जरूर लगती है, लेकिन फिर भी “द ग्रेट इंडियन किचन” की आत्मा को बनाए रखती है। यह एक कल्पनाशील रीमेक है।
मूल कहानी का अनुसरण करने वाली, लेकिन उसकी नकल नहीं। हालांकि, इसमें उस कच्ची वास्तविकता की कमी है जिसने मूल फिल्म को असाधारण बनाया था।
फिर भी, ज़ी5 पर स्ट्रीम हो रही यह फिल्म अपने संदेश को इतनी प्रभावशाली तरीके से पेश करती है कि इसे बेकार की रीमेक नहीं कहा जा सकता।
Mrs Hindi Review : हिंदी के हिसाब से सेटल किया गया है
फिल्म के लेखकों—अनु सिंह चौधरी, हरमन बावेजा और आरती कदम ने मूल पटकथा से कुछ हिस्से लेकर इसमें नए तत्व जोड़े हैं। इस फिल्म का अधिकतर प्रभाव इसके उत्तर भारतीय परिवेश में स्थानांतरित होने से आता है।
मूल फिल्म में जो सांस्कृतिक और धार्मिक परतें थीं, वे यहाँ उतनी गहरी नहीं हैं। “मिसेज़” का स्थान किसी भी खास राज्य से बंधा हुआ नहीं लगता, बल्कि एक सामान्य उत्तर भारतीय पृष्ठभूमि का अहसास देता है।
Mrs Hindi Review : पति, परिवार और रूढ़िवादी सोच
नायिका ऋचा (संया मल्होत्रा) एक प्रतिभाशाली नृत्यांगना है, लेकिन शादी के बाद उसे रसोई तक सीमित कर दिया जाता है। उसका पति दिवाकर (निशांत दहिया) और ससुर (कंवलजीत सिंह) चाहते हैं कि वह केवल घर के कामों में लगी रहे।
मूल फिल्म में पति एक साधारण स्कूल टीचर था, लेकिन यहाँ वह एक अमीर स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनेकोलॉजिस्ट) है। वह शुरुआत में सौम्य और मिलनसार दिखता है, लेकिन धीरे-धीरे उसका असली स्त्री-विरोधी रूप सामने आता है।
दिवाकर हर समय इस बात पर ज़ोर देता है कि वह कितना मेहनती है और उसे कितना थकान महसूस होती है। लेकिन उसकी शादीशुदा ज़िंदगी भावनात्मक और शारीरिक दोनों स्तरों पर ठंडी और बेरंग है।
फिल्म में सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएँ भी ऋचा को उसी दायरे में बाँधने का काम करती हैं। उसकी सास (अपर्णा घोषाल) हमेशा हंसमुख रहती है, लेकिन उसे भी लगता है कि हर औरत को अच्छे से खाना बनाना आना चाहिए। जब ऋचा अपनी माँ (मृणाल कुलकर्णी) से शिकायत करती है, तो उसे कोई सहारा नहीं मिलता। बल्कि उसे सलाह दी जाती है कि “शादी में यही सब सहना पड़ता है।”
Mrs Hindi Review : किचन का संघर्ष और रोजमर्रा की चुनौतियाँ
मूल फिल्म में डोसा, पुट्टू और कप्पा बनाए जाते थे, जबकि यहाँ रोटी, हलवा, बिरयानी और शिकंजी बनाई जाती है। लेकिन समस्या वही है—घर के पुरुषों की जरूरतें पूरी करने की अंतहीन मांग।
ऋचा का पति चाहता है कि रोटियाँ सीधे तवे से उतारकर दी जाएँ। ससुर चाहते हैं कि सारे मसाले हाथ से पीसे जाएँ और बिरयानी दम पुख्त स्टाइल में बने।
इसके अलावा, परिवार के रिश्तेदार भी इसे और मुश्किल बना देते हैं। एक चचेरा भाई (वरुण बडोला) हाल-चाल पूछने आता है लेकिन और समस्याएँ खड़ी करता है। एक मौसी (लवलीन मिश्रा) करवा चौथ के कठोर नियमों का पालन करने का दबाव डालती है।
Mrs Hindi Review : कैमरा और निर्देशन
कैमरा (डीओपी: प्रतम मेहता) बार-बार खाने की मेज और किचन पर ध्यान केंद्रित करता है—जहाँ पिता और बेटा चुपचाप खाना खाते हैं, यह सोचे बिना कि इसे तैयार करने में कितनी मेहनत लगी होगी।
फिल्म में कुछ दिलचस्प दृश्य भी हैं। शादी से पहले, जब दिवाकर की फैमिली ऋचा के घर आती है, तो दोनों छत पर जाकर बातचीत करते हैं। यह आमतौर पर बॉलीवुड फिल्मों में रोमांस बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन यहाँ यह सिर्फ एक भुलावा है—क्योंकि “मिसेज़” एक साधारण शादी-शुदा जीवन की कहानी नहीं है।
Mrs Hindi Review : क्या यह रीमेक जरूरी था?
जब भी किसी हालिया दक्षिण भारतीय फिल्म की हिंदी रीमेक आती है, यह सवाल उठता है कि इसकी ज़रूरत थी या नहीं। लेकिन “मिसेज” केवल एक नकल भर नहीं है, बल्कि इसमें एक अलग आत्मा है।
इसका ज्यादातर श्रेय सान्या मल्होत्रा को जाता है। वह अपने किरदार में पूरी तरह ढल जाती हैं और ऋचा की पीड़ा, उलझन, बेगानापन और अंततः विद्रोह को बेहद प्रभावी तरीके से सामने लाती हैं। उनके शानदार अभिनय के कारण ही यह फिल्म अपना असर छोड़ने में सफल होती है।
“मिसेज” एक ऐसी कहानी है जो दिल और दिमाग दोनों को झकझोर देती है। यह उन महिलाओं की दास्तान है जो बिना कुछ कहे बहुत कुछ सहती हैं। लेकिन आखिरकार, अपनी आवाज ढूंढ ही लेती हैं।
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