Match Fixing Hindi Review : कर्नल Kanwar Khatana की किताब The Game Behind Saffron Terror 2007 के आस-पास के पॉलिटिकल इवेंट्स पर बेस्ड है।
इसी किताब Kedaar Gaekwad ने एक फिल्म बनाई है Match Fixing : The Nation At Stake, जो इसी हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।
फिल्म का टाइटल सुनकर ऐसा लग सकता है कि कहानी IPL ये अन्य किसी चीज पर बेस्ड हो, लेकिन ऐसा नहीं फिल्म पॉलिटिकल ड्रामा बेस्ड है।
Match Fixing Hindi Review : आतंकी घटनाओं के पीछे की कहानी
कहानी 2007 और उसके बाद की घटनाओं पर आधारित है। जब तत्कालीन सरकार मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने के लिए समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट के आरोप हिंदुओं पर लगाती है।
वहीं पाकिस्तान में भारत में और अधिक आतंक फैलाने की योजना बनाई जा रही है। भारत में कुछ मंत्री और शीर्ष अधिकारी पाकिस्तान के साथ मिलकर भगवा आतंक की कहानी बुन रहे हैं ताकि भारत में विपक्षी पार्टी की बढ़ती पॉपुलैरिटी को रोका जा सके।
कहानी का केंद्र कर्नल अविनाश पटवर्धन (विनीत कुमार) है, एक सम्मानित अधिकारी जो भारत भर में विभिन्न आतंकवादी हमलों और बम विस्फोटों के बीच कनेक्शन की खोज करता है। हालांकि, जब उसकी जांच एक बड़े साजिश का हिस्सा बन जाती है।
Match Fixing Hindi Review : कहानी अच्छी लेकिन कहने में चूक हो गई
Match Fixing को किताब से कहानी बनाने का काम Anuj Mehta ने किया है। जो रियल इंसीडेंट का सहारा लेकर फिक्शनल स्टोरी तैयार करते हैं। फिल्म दिखाने की कोशिश करते हैं कैसे नेता, एजेंसियां और कुछ अधिकारियों ने मिलकर अपने हितों के लिए सेफरन या भगवा आतंक की कहानी को तैयार किया। जिसने देश के माहौल को बिगाड़ने का काम किया। (Match Fixing Hindi Review)
कहानी का कॉन्सेप्ट मजबूत है क्योंकि यह आतंकवादी घटनाओं को एक बड़ी साजिश से जोड़ने की कोशिश करती है। यह दिखाते हुए कि कैसे सत्ता अपने राजनीतिक एजेंडों को पूरा करने के लिए चीजों को मोड़ सकती है। फिल्म अच्छे तरीके से कनेक्शन बिल्ड करती है, लेकिन एग्जिक्यूशन में चूक जाती है।
Match Fixing Hindi Review : स्क्रीनप्ले फंसता है
यह फिल्म असली घटनाओं से इंस्पायर है, पात्र और घटनाएं पहचानी जा सकती हैं और इन्हें अच्छी तरह से दिखाया भी गया है। लेकिन फिल्म लंबी लेंथ इसके पेस को कमजोर कर देती है।
फिल्म कई हिस्सों में फंसकर बोरिंग भी हो जाती है। अंडरकवर वाले सीक्वेंस थोड़ा सा थ्रिल जरूर पैदा करते हैं लेकिन बड़ा हिस्सा कमजोर स्क्रीनप्ले की भेंट चढ़ जाता है।
Match Fixing Hindi Review : परफॉर्मेंस कैसी है
विनीत कुमार ने सेना अधिकारी का किरदार दर्शकों में विश्वास पैदा करता है। इमोशनल स्ट्रगल वाले हिस्सों में उनका काम बेहतर है। हालांकि आर्मी अफसर के रोल में उनकी एबिलिटी और इंटेलिजेंस को थोड़ा और एक्सप्लोर किया जा सकता था।
Anuja Sathe जो अविनाश की पत्नी के छोटे से रोल में हैं। उनका स्क्रीन टाइम कम है फिर उन्होंने ठीक-ठाक काम किया है। Manoj Joshi ने जनरल परवेज मुशर्रफ का किरदार मजबूत से पेश किया है।
Match Fixing पॉलिटिकल जॉनर के लिहाज से अच्छी फिल्म है। लेकिन फिल्म अगर स्क्रीनप्ले और एग्जिक्यूशन में बेहतर होती तो एवरेज से ऊपर जा सकती थी। (Match Fixing Hindi Review)
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