Khoj Hindi Review : डायरेक्टर Prabal Baruah का शो Khoj: Parchaiyo Ke Uss Paar एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर का वादा करता है।
जो अगाथा क्रिस्टी की शैली में है, लेकिन जबकि यह अपनी उलझनें और धोखे वाले मोड़ों के साथ रहस्य को बढ़ावा देता है, इसके एग्जीक्यूशन में कई कमियां हैं।
Khoj Hindi Review : साइकोलॉजिकल प्लाट वाली कहानी
कहानी वेद खन्ना (Sharib Hashmi) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसकी पत्नी मीरा (Anupriya Goenka) रहस्यमय तरीके से गायब हो जाती है। जब मीरा को इंस्पेक्टर अमोल साठे (Aamir Dalvi) ढूंढकर वापस लाता है, तो वेद का कहता है कि वह उसकी पत्नी नहीं है।
यह खुलासा कहानी को पहचान, सच और याददाश्त के संकट में डुबो देता है। कहानी का प्लॉट दिलचस्प है। लेकिन शो सस्पेंस और इमोशनल कनेक्ट बनाए रखने में चूक जाता है।
Khoj Hindi Review : एक्टर्स ने माहौल बना दिया
कास्ट सीरीज की रीढ़ है, जहां शरीब हाशमी अपने कॉमिक रोल्स से बाहर निकलकर वेद के रूप में शानदार अभिनय पेश करते हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति को हूबहू स्क्रीन पर उतारते हैं जो साइकोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहा है। लेकिन स्क्रिप्ट उनके किरदार की डेप्थ देने में कामयाब नहीं हो सकी है।
अनुप्रिया गोयनका, मीरा के रूप में, अपने किरदार के साथ सस्पेंस लेकर आती है। जो कहानी को आगे बढ़ने की एनर्जी देता है। आमिर दलवी, पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में, अच्छी परफॉर्मेंस दी है। साथ ही वे सीरीज में प्लॉट में बैलेंस लाने का काम भी करते हैं।
Khoj Hindi Review : कहानी खींच कर च्युइंगम हो गई
निर्देशक प्रबल बरुआ एक ऐसा माहौल बनाते हैं जो शुरुआती क्षणों में इफेक्टिव है, लेकिन सात-एपिसोड में उस टेंशन को बरकरार रखने में वे स्ट्रगल करते नजर आए हैं।
कहानी में सब प्लॉट्स की कमी है और मैन प्लॉट इतना बड़ा नहीं है कि उस पर इतनी बड़ी लेंथ डिपेंड कर सके। ऐसे में ऑडियंस के लिए सीरीज अंत तक पहुंचते-पहुंचते काफी स्लो हो जाती है।
Khoj Hindi Review : ट्रेवल नहीं करती, बोर करती है
सीरीज ज्यादा ट्रेवल भी नहीं करती बल्कि एक जगह पर अपने बहुत सारा समय गुजार देती है। जहां एक बाद एक नये-नये डायलॉग और सीन क्रिएट किए जाते हैं जो ऑडियंस के लिहाज मुश्किल पैदा करता है।
Khoj: Parchaiyo Ke Uss Paar के पास एक दिलचस्प प्लॉट और मजबूत एक्टिंग का सहारा है, लेकिन इसकी खिंची हुई कहानी, विजुअल अट्रैक्शन की कमी इसे कमजोर करती है।
यह एक थ्रिलर है जो अपने ट्विस्ट और टर्न पर बहुत अधिक निर्भर करती है, लेकिन किरदारों की डेप्थ को सही से नहीं तलाश पाती।
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