Family Padam Hindi Review : फिल्ममेकर Selvah Kumar Thirumaaran Family Padam से डेब्यू कर रहे हैं।
फैमिली पदम, एक स्ट्रगलिंग फिल्ममेकर की कहानी है। इस तरह की फिल्मों में या तो लीड कैरेक्टर का संघर्ष दिखाया जाता है या फिर परिवार वालों की तरफ से पैदा की जाने वाली रुकावटें या फिर परिवार वालों की तरफ से सपोर्ट।
फैमिली पदम हमें ऐसे ही परिवार की कहानी बताती है जिसमें तीन बेटे हैं और उनमें से एक फिल्ममेकर बनना चाहता है। फिल्म की कहानी कहानी बताती है कि एक व्यक्ति का सपना पूरा करने के लिए परिवार किस हद तक जा सकता है।
Family Padam Hindi Review
फिल्म की शुरुआत जेल के सीन से होती है जहां हमारा लीड कैरेक्टर बंद है। फिर कहानी फ्लैशबैक में जाती है जहां थमिल (Uday Karthik) प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाता है।
कुछ तीखी बहस, हंसी और रोमांस के बाद थमिज को आखिरकार एक निर्माता मिल जाता है जो उसकी कहानी में दिलचस्पी दिखाता है। लेकिन जल्दी उसे पता चलता है कि हकीकत तो कुछ और है। सपने टूटने की निराशा में परिवार कैसे साथ देता है यही फिल्म की कहानी है।
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इस तरह की फिल्मों में आमतौर पर लीड एक्टर को फोकस में रखा जाता है और उसके अराउंड ही पूरी कहानी जल्दी है। लेकिन फैमिली पदम इससे अलग पूरी फैमिली के मेंबर को बारी-बारी से वेटेज देती है।
फिल्म की एक और अच्छी फिल्म का कोई भी सब प्लॉट दिखावे के लिए नहीं है। डायरेक्टर सेल्वा सिंपल कहानी और नॉर्मल कैरेक्टर पर भरोसा करते हैं। लेकिन इन सब के चक्कर में परिवार वाले एंगल को छिपने नहीं देते।
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फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक मूल्यों को जोड़कर रखती है, जो स्क्रीन पर देखने पर अच्छा लगता है। महिला किरदार भी इसमें पूरी तरह से सपोर्ट कर रही हैं।
फिल्म के डायलॉग भी इस पर पूरा साथ देते हैं, जो इमोशनल और सटीक दोनों हैं। फिल्म के सीन थामिज की बेबसी और परिवार के संघर्ष को पूरी तरह से उतारने में मदद करते हैं।
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कुछ चीजें फिल्म को कमजोर भी करती हैं। इनमें यमुना और थामिज का रोमांटिक ट्रैक थोड़ा कम रिलेवेंट लगता है। दोनों की केमेस्ट्री अच्छी है लेकिन बहुत ज्यादा बनावटी लगती है। इसके अलावा कुछ प्लॉट्स खुले भी रह जाते हैं।
कुल मिलाकर फिल्म 90’s के नोस्टेलजिया को फिर से जिंदा करती है। कहानी प्रिडिक्टेबल जरूर है लेकिन फैमिली ड्रामा देखने लायक है। Family Padam Hindi Review
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