Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : फिल्में सिर्फ कहानियां नहीं होतीं, बल्कि इमोशन की एक पूरी दुनिया होती हैं। Dil Dosti Aur Dogs के डायरेक्टर Viral Shah भी इसी तरह की फिल्म बनाने की कोशिश करते हैं।
फिल्म इंसानों और उनके पालतू कुत्तों के रिश्ते को खूबसूरती से दिखाने की कोशिश करती है, लेकिन कमजोर कहानी और बचकाने दृश्यों की वजह से यह अपने इरादों में पूरी तरह सफल नहीं हो पाती।
Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : कहानी कमजोर धागों से जुड़ी है
फिल्म की कहानी गोवा में सेट की गई है, जहां अलग-अलग किरदार अपने-अपने संघर्षों से जूझ रहे हैं और उनकी ज़िंदगी में कुत्तों की खास जगह है। एक शादीशुदा जोड़ा, जो लंबे समय से बच्चा पैदा करने के लिए संघर्ष कर रहा था, एक मादा कुत्ते को गोद लेता है और जब वह गर्भवती हो जाती है, तो उन्हें उसमें अपनी अधूरी खुशी नजर आने लगती है।
वहीं, एक होटल मैनेजर, जो गलती से एक कुत्ते को नुकसान पहुंचाता है, अपनी भूल सुधारने के लिए उस पर अपना प्यार लुटाने लगता है। इस बीच, वह एक महिला से प्रेम करने लगता है, जो अनाथ कुत्तों को गोद लेने में मदद करती है।
कहानी में एक छोटी लड़की भी है, जो अपने गुमशुदा कुत्ते को खोजने के मिशन पर निकलती है। इस सफर में उसकी अपने सौतेले पिता से दूरी कम होने लगती है और दोनों के रिश्ते में गर्माहट आ जाती है।
इसके अलावा, फिल्म में एक बुजुर्ग महिला की कहानी भी है, जो अकेलेपन से जूझ रही है। वह एक आवारा कुत्ते को अपने घर में जगह देती है और उसकी मासूमियत से प्रभावित होकर अपने बीते हुए दर्द से बाहर निकलने की कोशिश करती है। लेकिन जब उसे अहसास होता है कि उसका कुत्ता बूढ़ा हो रहा है और हमेशा उसके साथ नहीं रहेगा, तो उसका दिल टूट जाता है।
Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : इमोशन हैं, लेकिन मैच्योरिटी की कमी है
फिल्म इन सभी कहानियों को एक-दूसरे से जोड़ती है, लेकिन कहीं न कहीं कहानी कहने का तरीका हल्का पड़ जाता है। कई दृश्यों में ड्रामा ज़रूरत से ज्यादा है, तो कुछ सीन इतने अजीब लगते हैं कि दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आखिर इन्हें फिल्म में क्यों डाला गया।
“दिल दोस्ती और डॉग्स” में कई ऐसे पल हैं जो दिल को छू जाते हैं। कुछ सीन इतने प्यारे हैं कि आपको हंसाते भी हैं और रुलाते भी। लेकिन फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह अपनी कहानी को परिपक्व तरीके से नहीं कह पाती।
कई बार ऐसा लगता है कि फिल्म दर्शकों की भावनाओं से जबरदस्ती खेलना चाहती है। कुछ सीन इतने मेलोड्रामेटिक हैं कि वे वास्तविकता से दूर लगते हैं। क्लाइमैक्स में एक्शन सीन देखने को मिलता है, जो फिल्म की पूरी टोन से मेल नहीं खाता। इसी तरह, कुछ संवाद इतने भावुक हैं कि वे पुराने जमाने की फिल्मों की तरह लगते हैं।
वायरल शाह ने एक अच्छी थीम को चुना, लेकिन कहानी कहने का तरीका इसे कमजोर बना देता है। फिल्म में कई बातें बहुत ओवर-द-टॉप लगती हैं। जब आप “Hachi: A Dog’s Tale”, “777 Charlie” या “Old Yeller” जैसी फिल्में देखते हैं, तो आप महसूस करते हैं कि कुत्तों पर बनी कहानियां कितनी गहरी और असरदार हो सकती हैं। लेकिन “दिल दोस्ती और डॉग्स” वह गहराई नहीं ला पाती।
Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : अभिनय की बात करें तो
फिल्म में Neena Gupta, Sharad Kelkar, Kunal Roy Kapur, Masumeh Makhija, Ehan Bhat और Tridha Choudhury मुख्य भूमिकाओं में हैं।
Neena Gupta का किरदार थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन उन्होंने अपनी ओर से अच्छा प्रयास किया है। Sharad Kelkar शुरुआत में थोड़े असहज लगते हैं, लेकिन धीरे-धीरे अपने किरदार में घुल जाते हैं। Tridha Choudhury और Ehan Bhat की जोड़ी क्यूट लगती है, लेकिन उनके रोमांटिक सीन्स कहीं-कहीं बचकाने लगते हैं। Kunal Roy Kapur और Masumeh Makhija का अभिनय औसत है, जबकि Tinnu Anand को फिल्म में बहुत कम स्क्रीन टाइम मिला है।
हालांकि, फिल्म के सबसे शानदार परफॉर्मर कुत्ते हैं। वे कुछ भी ‘अभिनय’ नहीं कर रहे, बस अपनी मासूमियत से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं।
Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : तकनीकी पक्ष भी कमजोर है
फिल्म का तकनीकी पक्ष भी उतना दमदार नहीं है। सिनेमैटोग्राफी औसत दर्जे की है, एडिटिंग बेहतर हो सकती थी, और म्यूजिक भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ता। बैकग्राउंड स्कोर कुछ जगहों पर फिल्म को मदद करता है, लेकिन गाने यादगार नहीं हैं।
एक और बड़ी समस्या यह थी कि फिल्म के प्रीव्यू स्क्रीनिंग में “PREVIEW CONTENT” का वॉटरमार्क इतना बड़ा था कि कई बार किरदारों के चेहरे ही ठीक से नहीं दिखे। इससे उनके अभिनय को पूरी तरह परखना मुश्किल हो गया।
Dil Dosti Aur Dogs Hindi Review : एक अच्छी कोशिश, लेकिन अधूरी
Dil Dosti Aur Dogs एक प्यारी फिल्म हो सकती थी, लेकिन इसकी कमजोर कहानी, ओवरड्रामेटिक सीन और तकनीकी खामियां इसे पीछे कर देती हैं। इसमें कुछ बेहतरीन इमोशनल पल जरूर हैं, लेकिन यह उतनी प्रभावशाली नहीं बन पाई, जितनी बन सकती थी।
अगर आपको कुत्तों से प्यार है और हल्की-फुल्की इमोशनल फिल्में पसंद हैं, तो इसे एक बार देखा जा सकता है। लेकिन अगर आप गहरी और दमदार कहानियों की तलाश में हैं, तो यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरेगी।
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फिल्म की कहानी अंकुर (Arjun Kapoor) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ऐसी महिलाओं से प्यार करने में माहिर है जो उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प हैं। उसकी पहली पत्नी प्रभलीन (Bhumi Pednekar) को एक अजीबोगरीब बीमारी—रेट्रोग्रेड एम्नेशिया हो जाती है, जिससे वह भूल जाती है कि उनका तलाक हो चुका है। वहीं, उसकी मंगेतर अंतरा (Rakul Preet Singh) स्पोर्ट्स मेडिसिन डॉक्टर है, लेकिन शायद यह भूल गई कि रिश्ते कोई कॉम्पिटिशन नहीं होते।
अब कहानी में ट्विस्ट यह है कि दोनों महिलाएं अनजाने में अंकुर के लिए ही लड़ रही हैं, जबकि असल में दोनों को उससे बेहतर मिल सकता था। यह लव ट्रायंगल जितना मजेदार लगता है, उतना ही गड़बड़ भी है, और फिल्म इसी झमेले को हाई वोल्टेज पंजाबी ड्रामे के साथ पेश करती है। पूरा रिव्यू पढ़िए….
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साहिल को कव्वालियां और अमीर खुसरो की शायरी पसंद है, वहीं संगीता अब इत्र बनाने में सुकून तलाश रही हैं। वे दोनों एक ही घर में रहते हुए भी अलग-अलग दुनिया में जी रहे हैं। ऐसे में तलाक का विचार उनके दिमाग में घर कर जाता है। लेकिन क्या यह सही फैसला होगा?
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