Azaad Hindi Review : अमीर लड़की और गरीब लड़की इसके बाद इनकी लव स्टोरी और इसके खिलाफ जमाना।
90 और उसके दशक के पहले की हिंदी फिल्मों को देखा जाए तो ये कहानी कहीं से भी नयी नहीं है। अब इसी कहानी को फिर से लेकर आई है Rasha Thadani और Amaan Devgn की फिल्म Azaad आई है।
Azaad Hindi Review : आजादी से पहले की कहानी
फिल्म की शुरुआत गोविंद (आमान) के डाकू विक्रम सिंह (Ajay Devgn) के काले घोड़े आज़ाद के लिए अट्रैक्शन से होती है। यह घोड़ा अपने मालिक के अलावा किसी और की परवाह नहीं करता।
गोविंद की भिड़ंत जमींदार राय बहादुर (Piyush Mishra) की बेटी जानकी (राशा) से होती है। वहीं, दूसरी ओर, एक समानांतर कहानी में जानकी का भाई तेज बहादुर (Mohit Malik) और केसर (Diana Penty) की कहानी चलती है। स्वतंत्रता-पूर्व भारत की पृष्ठभूमि में सभी किरदारों की कहानियां कैसे आपस में जुड़ती हैं, यही फिल्म की मुख्य कथा है।
Azaad Hindi Review : डायरेक्टर का काम कमजोर है
आज़ाद को देखते हुए ऐसा लगता है कि फिल्म में निर्देशक अभिषेक कपूर ने कैमरा चालू किया और कट कहना भूल गए। फिल्म कहानी को आगे बढ़ाने में बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं करती। फिल्म के खत्म होने तक ऐसा लगा कि मैं थोड़ा और बूढ़ा हो गया।
इस पूरी कहानी के बीच, घोड़ा आज़ाद खुद ही दर्शकों का दिल जीत लेता है। उसकी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति इतनी प्रभावशाली है कि वह बिना किसी संवाद के शो चुरा लेता है। कपूर की फिल्म में आज़ाद से जुड़ी कुछ सीक्वेंस बेहद शानदार हैं, लेकिन वे बहुत कम हैं।
Azaad Hindi Review : नए एक्टर कैसे हैं
नए कलाकारों की बात करें तो दोनों ही कच्चे हैं, और यह साफ दिखता है। हालांकि, दोनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 19 साल की राशा की स्क्रीन प्रेजेंस अच्छी है, लेकिन उन्हें भावुक दृश्यों पर काम करने की जरूरत है। आमान ने डांस और एक्शन पर पकड़ बना ली है, लेकिन उन्हें अभिनय की और प्रैक्टिस करनी चाहिए।
मोहित मलिक, जो पहले से ही टेलीविज़न पर जाने जाते हैं, आज़ाद के जरिए फिल्मों में कदम रख रहे हैं, और वह अपने किरदार में फिट बैठते हैं। डायना पेंटी का ट्रैक अधूरा और अधपका लगता है। अजय देवगन का किरदार ऐसा लगता है जैसे उन्होंने अपने हिस्से की शूटिंग RRR और आज़ाद को साथ में शूट किया हो। उम्मीद है कि यह किसी नई फिल्म यूनिवर्स की शुरुआत न हो।
Azaad Hindi Review : अमित का संगीत भी खास नहीं
अमित त्रिवेदी के संगीत से बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन ऊई अम्मा, को छोड़कर, जो वायरल हो चुका है और मिक्स्ड रिस्पॉन्स मिल रहे हैं, बाकी का म्यूजिक प्रभाव छोड़ने में विफल रहा।
कुल मिलाकर, आज़ाद में दो नए अभिनेताओं को छोड़कर कुछ नया पेश करने के लिए नहीं है। धीमी और कमजोर पटकथा के साथ, फिल्म की कहानी पुराने घिसे-पिटे ढर्रे पर चलती है। एक घोड़े पर आधारित फिल्म में रफ्तार तो होनी ही चाहिए थी।
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फिल्म की शुरुआत एक युवा इंदिरा गांधी के अपने दादा से राजनीति की ABCD सीख रही होती है। इसी बीच एक झलक देश की आजादी की दिखाई जाती है। फिर कहानी 1962 के इंडो-चाइना वॉर पर पहुंचती है,जहां इंदिरा की भूमिका को हाइलाइट किया जाता है। इसके बाद पिता नेहरू की मौत, शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने और आखिर में इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने के सीन सामने आते हैं। ।
इसके बाद अगले दो घंटे में 1971 के भारत-पाक युद्ध, बांग्लादेश की स्वतंत्रता, भारत-सोवियत संधि, शिमला समझौता, पोखरण परमाणु परीक्षण, और विपक्ष के विरोध के कारण इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम दिखाए गए हैं।
इसके चलते आपातकाल लागू करने का उनका फैसला भी सामने आता है। हालांकि, इस दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, मीडिया पर पाबंदी, और जबरन नसबंदी जैसे मुद्दों को केवल सतही तौर पर दिखाया गया है। पूरा रिव्यू पढ़ें…
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वह एक व्हाट्सएप ग्रुप में भी जुड़ी हुई है, जहां लोकल लेडीज एक-दूसरे के डेली लाइफ और घटनाओं के बारे में अपडेट करती हैं, ताकि वह बिजी रह सकें।
इसी दौरान प्रियदर्शिनी के पड़ोस में मैन्युएल (Basil Joseph) अपनी बूढ़ी मां के साथ अपने पुश्तैनी घर में वापस आ जाता है। प्रियदर्शिनी उसके घर में भी ताक-झांक शुरू कर देती है। पूरा रिव्यू पढ़ें…