Matka Hindi Review : Varun Tej ने ‘पलासा 1978’ के डायरेक्टर Karuna Kumar के साथ हाथ मिलाकर एक पीरियड ड्रामा बनाया है।
फिल्म का नाम Matka है। जो सट्टेबाज Ratan Khatri पर आधारित है। फिल्म की कहानी 1958 से 1982 के बीच की है, जिसमें वरुण तेज कई विंटेज लुक्स में नजर आ रहे हैं।
फिल्म में पॉपुलर एक्ट्रेस Meenakshi Choudhary और Nora Fatehi भी हैं। वरुण तेज की आखिरी सफल फिल्म F3 थी और अभिनेता ने ‘मटका’ पर काफी उम्मीदें लगाई थीं। ट्रेलर दिलचस्प था, लेकिन फिल्म उम्मीदों पर खरा उतर पाई या नहीं, आइए देखते हैं।
Matka Hindi Review :आइए गैंगस्टर बनाते हैं
एक रिफ्यूजी वासु अपनी मां के साथ 1958 में विशाखापत्तनम आता है। वासु एक हत्या के आरोप में जेल जाता है और एक फाइटर बन जाता है।
वासु की डेयरिंग और अमीर बनने की लालसा उसे एक गैंगस्टर बनाती है। मटका क्या है, वासु कैसे मटका किंग बनता है और उसके बाद उसके साथ क्या होता है। फिल्म इन्हीं सवालों के जवाब देती है।
Matka Hindi Review : वरुण तेज ने मेहनत तो की है
वरुण तेज ने अपने लुक पर काफी मेहनत की है, लेकिन वह एक गैंगस्टर के रूप में फिट नहीं बैठे। वरुण तेज एक परिपक्व गैंगस्टर के लिए काफी युवा लग रहे थे। मीनाक्षी चौधरी एक बार फिर एक बेजान भूमिका में दिखाई दीं।
नोरा फतेही पहली बार तेलुगु फिल्म में एक भूमिका में दिखाई दी हैं, जबकि उन्होंने पहले स्पेशल नंबरों से मनोरंजन किया था। नोरा को एक अच्छी भूमिका मिली है और उन्होंने लिमिटेड प्रेजेंस में अच्छा काम किया है। नोरा फतेही का डांस नंबर भी अच्छा है।
Kishore, Naveen Chandra, Saloni, Ajay Gosh और Ravi Shankar ने अपने-अपने रोल में अच्छा काम किया है।
Matka Hindi Review : कहानी की कमजोरी है
जीवी प्रकाश कुमार का बैकग्राउंड म्यूजिक लाउड है लेकिन इंटरेस्टिंग नहीं है। ‘ले ले राजा’ और ‘तस्सादिया’ गाने देखने में अच्छे हैं।
मटका बेहद कमजोर कहानी कही जा सकती है। डायरेक्शन में भी सुधार की गुंजाइश है। स्क्रीनप्ले सपाट है। सिनेमैटोग्राफी ठीक है। विंटेज प्रॉपर्टीज और लुक अच्छे हैं। वरुण तेज का अंत में बूढ़ा लुक अजीब लग रहा है।
Matka Hindi Review : नेगेटिव और पॉजिटिव
फिल्म के पॉजिटिव पॉइंट्स में विंटेज सेटअप और मटका का ऑपरेटिंग स्टाइल शामिल है। फिल्म में उस दौर को स्क्रीन पर उतारने के लिए मेकर्स को पूरे नंबर दिए जा सकते हैं।
लेकिन पॉजिटिव से ज्यादा फिल्म में नेगेटिव की भरमार है। फिल्म की कहानी पुरानी और प्रिडिक्टेबल है। वहीं इसके नैरेशन में भी रोमांच की कमी नजर आती है। जो दर्शक को बांधकर रखने में सफल नहीं हो पाती।
इसके अलावा फिल्म के किरदारों और प्लॉट में बहुत हद तक गहराई की कमी नजर आती है। जो दर्शक को फिल्म से न जुड़ने का एक और कारण देती है।
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