Article 370 Hindi Review : 5 अगस्त 2019 को सेंट्रल गवर्नमेंट में राज्यसभा में एक बिल लायी। इस बिल की मदद से सरकार ने जम्मू और कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाली धारा 370 और 35A को हटा दिया। इसके साथ ही देशभर के भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई, और बॉलीवुड को मिल गया एक प्रोपेगैंडा फिल्म का मसाला।
Article 370 Hindi Review
जिसका रिजल्ट हमे इस हफ्ते बड़े पर्दे पर आई फिल्म Article 370 के रूप में देखने को मिल रहा है। The Kashmir Files और The Kerala Story जैसी फिल्मों ने मेकर्स को एक फार्मूला दिया है देशभक्ति और एक पॉलिटिकल फेवरेटिज्म के सहारे ऑडियंस को सिनेमाघरों तक लाने का। Article 370 इसी फॉर्मूले से बना नया प्रोडक्ट है।
Article 370 की कहानी को 6 चैप्टर में बांटकर दिखाया गया हैं, ऐसा ही एक्सपेरिमेंट Aditya Dhar ने Uri The Surgical Strike में किया। इस फिल्म के वे प्रोड्यूसर हैं इसे Aditya Jambhale ने डायरेक्ट किया है।
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कहानी वही है जो हमने समाचारों में सुनी है…
फिल्म शुरू होते ही कश्मीर के इतिहास को Ajay Devgn के वॉयस ऑवर में समझाती है। फिर कहानी 2016 में पहुंच जाती है जहां बुरहान वानी के एनकाउंटर से फिल्म का प्लॉट सेट करती है। इसके बाद अगले आधे-पौने घंटे फिल्म अलगाववाद, पत्थरबाजी और कश्मीर की राजनीतिक उठापटक को दिखाती हुई फिल्म पुलवामा वाले फीके इंटरवल ब्लॉक के साथ खत्म हो जाती है।
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इंटरवल के बाद उम्मीद के मुताबिक फिल्म इमोशनल नोट पर शुरू होती है। मोदी जी की एंट्री होती भक्तों में बहार आती है। फिर बदले और Article 370 की विदाई की तैयारियां शुरू होती हैं। इसके बाद कहानी एक घंटे तक संविधान के सब क्लॉस और हिस्ट्री पेंच को सुलझाने में जुट जाती है और जब तक पेंच सुलझता है 370 हट चुकी होती है।
ये गिनती की अच्छी बातें…
रिव्यू में पहले कुछ अच्छे पॉइंट्स पर बात कर लेते हैं। फिल्म अपने टॉपिक के साथ जोड़ने में सफल रही है। ऑडियंस कश्मीर को भारत से अलग बताने वाले एंगल से रिलेट करती है। BGM कुछ जगहों पर छोड़ दिया जाए तो बेहतर है। इसके अलावा फिल्म में लिए गए एक्टर्स का कैरेक्टराइजेशन भी ठीक लगा है।
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सब कुछ उलझा..उलझा है..सब कुछ…
फिल्म बुरहान वानी से शुरू होती है। पहले आधे घंटे के बाद उसका एनकाउंटर सीन आता है। ये सीन देखकर आपको फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक की याद आ जाती है। पूरा सीन हूबहू कॉपी किया गया है। नॉर्मल से सीन को रियल दिखाया जाता तो बढ़िया होता लेकिन PUBG बनाने के चक्कर में फिल्म रियलिटी से हट जाती है।
इसके बाद वही आजादी-आजादी वाले नारे, कार पर पत्थरबाज को बांधना वही घिसा पिटा ड्रामा शुरू हो जाता है, जो बोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
फिल्म का इंटरवल ब्लॉक बेहद कमजोर है, एक झटके में कहानी पुलवामा अटैक पर पहुंच जाती है, दर्शक को इतने सीरियस जुड़ने का मौका नहीं दिया जाता। और यदि मौका दिया भी जाता तो ये सीन फिल्मों में इतना देखा जा चुका है कि इस पर अब ऑडियंस के आंसू निकलवा पाना मुश्किल है। ताजा उदाहरण फिल्म Fighter का ही है।
दूसरा हाफ तो क्यों ही था !
दूसरे हाफ फिल्म का सबसे कमजोर बड़ा निगेटिव है। इस पार्ट में कश्मीर के संविधान के सब क्लॉज (डी) को पकड़कर उसमें लूपहोल ढूंढने की कोशिश दिखाई गई है। यहां मेकर्स ने मोशन ग्राफिक्स से लेकर टीवी सीरियल ड्रामा तक सबकुछ झोंक डाला है। इससे अच्छी नींद आ सकती है फिल्म में मजा नहीं।
क्लाइमैक्स बिल्ड अप दो सिनेरियो को जोड़ता है जहां एक तरफ संसद में गृहमंत्री चीख रहे होते तो दूसरी तरफ फिल्म की लीड एक्टर दुश्मनों पर गोली बरसा रही होती हैं। इन दोनों में कनेक्शन ढूंढ पाना फिल्म के स्क्रीनप्ले में लॉजिक ढूंढ पाने से भी ज्यादा मुश्किल है।
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मेकर्स की सबसे बड़ी गलती एक अच्छी खासी रियलिटी बेस्ड फिल्म को मास एंटरटेनर की तरह पेश करने की कोशिश है। फिल्म कई मौकों पर उरी बनने की कोशिश करती है लेकिन बन नहीं पाती। डायलॉग में जान नजर नहीं आती। फिल्म के बीचों बीच मोनोलॉग डालकर रही सही कसर पूरी कर दी जाती है।
एक्टिंग की बात करें तो Yami Gautam की एक्टिंग बढ़िया है। उन्होंने किरदार में जान डाली है। Priyamani ने भी शानदार काम किया है। यहां एक बात की तारीफ करनी पड़ेगी कि बिना किसी बड़े मेल लीड के मेकर्स दोनों लीडिंग लेडी के साथ नया एक्सपेरिमेंट करने की कोशिश की है जो लैंड भी करता है। इन दोनों के अलावा Vaibhav Tatwawadi समेत अन्य कास्ट ने ठीक काम किया है।
डिसाइडिंग नोट पर …
फिल्म Article 370, धारा के पहले के कश्मीर को दिखाने का प्रयास करती है जिसे आप किसी डॉक्यूमेंट्री या बुक में इससे बेहतर ढंग समझ पाओगे। फिल्म सिरे से खारिज भी की जा सकती है बशर्ते आप भक्त ना हों।
– सत्यम
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